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प्रश्न- विशिष्ट चल संपत्ति पर आधिपत्य पुनः प्राप्त करने के सम्बन्ध में विनिर्दिष्ट अनुतोष अधिनियम, 1963 की धारा 7 में क्या प्रावधान किये गए हैं?

 विशिष्ट चल संपत्ति पर आधिपत्य पुनः प्राप्त करने के सम्बन्ध में उपचार

        धारा 7 के अनुसार एक व्यक्ति जो विशिष्ट चल संपत्ति पर आधिपत्य रखने का अधिकारी है ,दीवानी प्रक्रिया संहिता ,1908  के प्रावधानो के अंतर्गत उस विशिष्ट चल संपत्ति पर आधिपत्य प्राप्त करने के लिए वाद दायर कर सकता है | धारा 7 के स्पष्टीकरण के अनुसार एक न्यासी इस धारा के अधीन उन व्यक्तियों के लाभदायक हित के लिए , जिनके लिए उसे न्यासी बनाया गया है ,चल संपत्ति के आधिपत्य के लिए  वाद ला सकता है ,क्योंकि न्यासी संपत्ति पर संपत्ति के स्वामी के बराबर ही अधिकार रखता है | दूसरे स्पष्टीकरण  के अनुसार इस धारा के अंर्तगत वाद के समर्थन के लिए वादी को चल सम्पति पर वर्तमान आधिपत्य प्राप्त करने के लिए विशिष्ट और अस्थायी अधिकार ही पर्याप्त है |


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उदाहरण

        किसी व्यक्ति को रास्ते में गाय मिली, जिसका कि स्वामी जब तलाश करने पर भी नहीं मिला तो उसने गाय अपने पास रख ली | वास्तविक स्वामी के अलावा प्रत्येक व्यक्ति के विरुद्ध उस व्यक्ति को गाय को रखने को विशिष्ट व अस्थायी अधिकार प्राप्त है | यदि किसी अन्य व्यक्ति ने गाय के आधिपत्य से उस व्यक्ति को विमुख किया है तो वह इस धारा के अंतर्गत वाद लाकर  गाय पर पुनः आधिपत्य प्राप्त कर सकता है |

        वादी विशिष्ट चल संपत्ति दीवानी प्रक्रिया संहिता ,1908 के आदेश XXI नियम 31 के अधीन आज्ञप्ति (decree) के निष्पादन के लिए उसी समय मांग कर सकता है जब वह यह सिद्ध कर दे वह विशिष्ट चल संपत्ति प्रतिवादी के आधिपत्य में है |

        वादी को किसी चल सम्पत्ति को पुनः प्राप्त करने के लिए दायर किये गए वाद में चल संपत्ति पर अपने स्वत्व या आधिपत्य को सिद्ध करना आवश्यक होता है | इस धारा के अंतर्गत उसी चल संपत्ति को वापस करने का अधिकार होगा , जिसकी कि मांग की गई उस जैसी अन्य वस्तु या एवज में दूसरी वस्तु स्वीकार नहीं की जा सकती | इसलिए यह जरुरी है कि वह चल संपत्ति निश्चित एवं पहचानने योग्य होनी चाहिए |


कब धार 7  के अंतर्गत चल संपत्ति पर पुनः कब्ज़ा प्राप्त किया जा सकता है ?
(When the Possession of movable Property can be recovered under Section 7)

        1. जब चल संपत्ति का स्वामी स्वयं अपने कार्य द्वारा उस चल संपत्ति को धरोहर , गिरवी या रेहन  (Bailment, Lien, and Pledge ) के रूप में वादी के पास रख देता है | जैसे एक साहूकार जिसके पास गहने गिरवी रखे गए है ,चोरी हो जाने पर वह वापस प्राप्त करने का अधिकार रखता है ,चोरी करने वाला यह नहीं कह सकता कि साहूकार उन गहनों का वास्तविक स्वामी नहीं है |

         2. किसी व्यक्ति को चल संपत्ति के सम्बन्ध में विशेष और अस्थायी अधिकार उस चल संपत्ति के स्वामी के कार्यो के बिना प्राप्त हो सकते है | जैसे किसी वस्तु के प्रथम प्राप्तकर्ता को वास्तविक स्वामी के अलावा अन्य सभी के विरुद्ध आधिपत्य का अधिकार होता है | यदि कोई व्यक्ति उसे आधिपत्य से विमुख करता है तो वस्तु का प्रथम प्राप्तकर्ता पुनः आधिपत्यप्राप्त करने का अधिकार रखता है |

        किसी भी व्यक्ति को चल संपत्ति के अधिपत्य से विमुख करने के लिए निम्नलिखित तरीके हो सकते है --

  • (i) उस चल संपत्ति को अवैधानिक रूप से प्राप्त करना |
  • (ii) उस चल संपत्ति को प्रारम्भ में वैधानिक रूप से प्राप्त करके बाद में अवैधानिक रूप से अपने पास रोके रखना |
  • (iii) उस संपत्ति को अवैधानिक रूप से हस्तान्तरण  करना |

        धारा 7 के अंतर्गत चल संपत्तिको वापस प्राप्त करने का दावा दीवानी प्रक्रिया संहिता ,1908 के प्रथम अनुसूची के परिशिष्ट 'अ' के अनुसार दायर करना होगा और न्यायालय दीवानी प्रक्रिया संहिता के आदेश 20 के नियम 10 के अनुसार डिक्री प्रदान करेगा | यदि चल संपत्ति का आधिपत्य अब प्रतिवादी के पास नहीं रहा है तो न्यायलय उस संपत्ति के मूल्य के बराबर क्षतिपूर्ति स्वीकृत करेगा |


Source: CLA,

LLB. 3 YEAR PROGRAMME

LAW OF CONTRACT - I (THE SPECIFIC RELIEF ACT - 1963)

DR. RAM MANOHAR LOHIYA AWADH UNIVERSITY AYODHYA

DR RMLAU AYODHYA

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