(Specific Relief)
विनिर्दिष्ट अनुतोष वह उपचार है जिसके द्वारा संविदा के एक पक्षकार को किसी कार्य को करने या न करने के लिए बाध्य किया जाता है जिसको उसने करने या न करने का वायदा किया किया जाता था |
(Classification of Remedies)
व्यवहार न्यायालय द्वारा किसी दोष या क्षतिके लिए दिए गए उपचारों को निम्न प्रकार से वर्गीकरण किया जा सकता है --
- वह उपचार जिसके द्वारा वादी वही प्रस्तुत करता है जिसका वह अधिकारी है |
- वह उपचार जिसके द्वारा वादी वही वस्तु प्राप्त नहीं करता है ,बल्कि उसके स्थान पर क्षतिपूर्ति प्राप्त करता है |
प्रथम एक विनिर्दिष्ट अनुतोष है जबकि दूसरा क्षतिपूर्ति का उपचार है इस प्रकार विनिर्दिष्ट अनुतोष ऐसा उपचार है जिसका उद्देश्य दायित्व को उसी प्रकार पूर्ण करने का होता है |
विनिर्दिष्ट अनुतोष एक ऐसा उपचार है जिसका प्रयोजन किसी दायित्व को उसी रूप में पूरा करने या संविदा का विशिष्ट रूप से अनुपालन से है |
पोलक एवं मुल्ला के अनुसार --"सारांश में विशिष्ट अनुतोष को विधि प्रक्रिया विधि का भाग है जो न्यायिक अनुतोष के रूप में प्रदान की जाती है |"इसे विनिर्दिष्ट इसलिए पुकारा जाता है कि वादी को विशेष उपाय प्रदान किया जाता है अतः प्रतिवादी किसी कार्य को करने या न करने के लिए उसी तरीके से बाध्य है जिस रूप में कि उस कार्य करने को कहा गया है |
विनिर्दिष्ट अनुतोष के अंतर्गत पीड़ित पक्ष को वही वस्तु देने का आदेश दिया जाता है जो वास्तव में उसकी है या उसे प्राप्त होनी चाहिए |
उदाहरण
(Illustration)
'अ' ने 'ब' को अपना मकान बेचने का वादा किया और एक अनुबंध पत्र भी लिख दिया |अब यदि 'अ' 'ब ' को मकान देने से बिना किसी उचित कारण के इन्कार कर देता है तो 'ब ' को 'अ' के विरुद्ध न्यायालय में उस मकान के विक्रय एवं आधिपत्य प्राप्त करने हेतु वाद संस्थित करने का अधिकार होगा | 'ब' को उस मकान के विक्रय के बदले में क्षतिपूर्ति लेने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता | इसप्रकार यह 'ब' के लिए एक विनिर्दिष्ट अनुतोष कहा जायेगा |
- वादी अपनी उस संपत्ति को पुनः प्राप्त करने का अधिकार रखता है जिसके कब्जे से उसे हटाया गया है |
- वादी प्रतिवादी को न्यायालय से किसी विशेष कार्य को पूरा करने का उसका वैधानिक दायित्व है ,विशिष्ट अनुपालन के आदेश जारी करवा सकता है |
- वादी प्रतिवादी को किसी कार्य को नहीं करने के लिए वह वैधानिक रूप से दायित्वधीन है या बाध्य है वह उसे कर रहा है न करने के लिए निषेधाज्ञा जारी करवा सकता है | [धारा 36 से 42 ]
- वादी अपने स्वामित्व को किसी संपत्ति या वस्तु पर निश्चित कर पक्षकारों को घोषणा करवा सकता है, इसप्रकार इसप्रकार क्षतिपूर्ति के अतिरिक्त वह यह भी घोषित करवा सकता है कि किस पक्षकार का उस संपत्ति पर अधिकार है | [धारा 34 एवं 35]
- वादी लिखितों का पारिशोधन (Rectification of instruments ) करवा सकता है| [धारा 26 ]
- वादी संविदा का विखंडन (Rescission of Contracts)करवा सकता है | [धारा 27 से 30 ]
- वादी प्रलेखों का प्रतिसंहरण ( रदद ) (Cancellation of instruments ) करवा सकता है | [धारा 31 से 33]
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