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प्रश्न - ऐसे व्यक्ति जो चल संपत्ति का स्वामी नहीं है , परन्तु जो कि उस पर काबिज है, चल संपत्ति को पुनः प्राप्त करने के सम्बन्ध में विनिर्दिष्ट अनुतोष अधिनियम ,1863की धारा 8 में क्या प्रावधान किये गए है ?

        

जिस व्यक्ति का कब्जा है किन्तु स्वामी के नाते नहीं है, उसका उन व्यक्तियों का जो अव्यवहृत कब्जे का हक़दार है  परिदत्त करने का दायित्व 

        विनिर्दिष्ट अनुतोष अधिनियम ,1863 की धारा 8 के अनुसार कोई भी व्यक्ति जिसके पास विशिष्ट चल संपत्ति का आधिपत्य और नियंत्रण है जबकि वह उसका स्वामी  नही है, को संपत्ति का स्वामी निम्न मामलो में वाद के द्वारा इस बात के लिए बाध्य कर सकता है कि वह उस संपत्ति को विशिष्ट रूप से संपत्ति के स्वामी को सौंप दे |

recoveryofpossession

        कब धारा 8 के अंतर्गत चल संपत्ति पर पुनः अधिकार प्राप्त किया जा सकता है ?

        (1) जबकि वह चल संपत्ति जिसे प्राप्त करने का वाद दायर किया गया है प्रतिवादी के पास वादी के प्रतिनिधि के रूप में या न्यासधारी के रूप में कब्जे के रूप में है | न्यासधारी से तात्पर्य भारितीय न्यास अधिनियम के आलावा उस सम्बन्ध से है जिसमे वादी व प्रतिवादी के बीच वैशवासिक संबंध पैदा होते हैं |

उदाहरण

        'अ' 'ब' से भुगतान की किस्तों में टेलीविजन खरीदता है | जब तक समस्त किश्तो का भुगतान नहीं हो जाता 'अ' 'ब' का न्यासी है और 'अ' किसी किश्त के भुगतान में चूक करता है तो 'ब' टेलीविजन को 'अ' से पुनः प्राप्त करने का वैधानिक अधिकार रखता है |

        (2) जबकि वादकर्ता उस चल संपत्ति के आधिपत्य को दिलाने के बजाय आर्थिक क्षतिपूर्ति दिलाई जाती है  तो उस चल संपत्ति की क्षति के रूप में वह आर्थिक क्षतिपूर्ति समुचित उपचार नहीं है | किसी व्यक्ति के पास अनेक वस्तुए व चल संपत्ति ऐसी प्रकृति की जो उस व्यक्ति के शौक ,चाव या वाद या पुराने पारिवारिक हित ,इतिहास या घटना या मूर्ति आदि से सम्बन्ध रखने वाली वस्तुए होती है जिनके आधिपत्य से विमुक्त करने पर वादी को अत्यधिक मानसिक क्षति की क्षतिपूर्ति नहीं कर सकती |

उदाहरण

        'अ' मूर्तिकार द्वारा बनाई गई मूर्ति को 'ब' बहुत पसंद करता है | 'अ' की मृत्यु के बाद 'ब' के लिए उस मूर्ति का मूल्य असाधारण व बेशकीमती है | वह मूर्ति किसी कारणवश 'स' के कब्जे में आ जाती है | 'स' उस मूर्ति के बदले में असाधारण धनराशि देने को तैयार है लेकिन 'ब' इस अधिनियम के अंतर्गत वाद लाकर 'स' से विनिर्दिष्ट रूप से वह मूर्ति यह सिद्ध करते हुए प्राप्त कर सकता है कि आर्थिक क्षतिपूर्ति उसके लिए समुचित उपचार नहीं है |

        (3)जब न्यायालय इस बात से संतुष्ट हो जाता है कि वह चल संपत्ति वादी को नहीं मिलने पर वास्तव में कितनी क्षति होती यह जानना असंभव है तो न्यायालय वादी को उस चल सम्पत्ति को पुनः अधिपत्य दिलवायेगा |

उदाहरण 

        असाधारण सौन्दर्य की वस्तु  जिसका सामन्यतय प्राप्त होना मुश्किल है या किसी कलाकार की कलाकृति आदि वस्तुएँ आती हैं जिनके सम्बन्ध में इस बात का पता लगाना मुश्किल है कि उसका वास्तविक मूल्य क्या है ?

        (4) जबकि वह वस्तु जिसे प्राप्त करने के लिए वाद दायर किया गया है वादी अवैध रूप से हस्तांतरित करवा  ली गई है |यदि कोई व्यक्ति अपने आपको अन्य व्यक्ति बताते हुए व्यावसायिक अनुबंध के अंतर्गत कोई चल संपत्ति  प्राप्त कर  लेता है तो उससे व चल संपत्ति वापस प्राप्त की जा सकती है 

उदाहरण

        'स' , 'अ' कपट द्वारा यह कहते हुए कि वह 'ब' है ,जिससे उसके व्यावसायिक सम्बन्ध है ,कुल माल देने के लिए संविदा करता है | 'अ' को जब इस सब की जानकारी होती है तो वह 'स' से माल पुनः प्राप्त करना चाहता है | 'अ ' इस प्रावधान के अंतर्गत 'स' से  माल वापस प्राप्त कर सकता है |

धारा 8  का उद्देश्य 
(Object of Section 8 )

        धारा 8 का उद्देश्य ऐसे व्यक्ति को किसी विशिष्ट चल संपत्ति के आधिपत्य या नियंत्रण का ऐसे व्यक्ति को परिदान करने के लिए बाध्य करना है जो कि वास्तव में उसकी अविलम्ब प्राप्त करने के लिए अधिकृत है |


Source: CLA.

LAW OF CONTRACT - I (THE SPECIFIC RELIEF ACT - 1963)

Dr. Ram Manohar Lohiya Awadh University Ayodhya

Dr. RMLAU Ayodhya

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