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प्रश्न -अचल संपत्ति पर वैधानिक आधिपत्य प्राप्त करने के सम्बन्ध में विनिर्दिष्ट अनुतोष अधिनियम , 1963 में क्या उपचार है ?

   अचल संपत्ति पर वैधानिक आधिपत्य प्राप्त करने हेतु उपचार  

        विनिर्दिष्ट अनुतोष अधिनियम ,1963 की धारा 5 के अनुसार,"यदि किसी विशिष्ट अचल संपत्ति पर एक व्यक्ति आधिपत्य प्राप्त करने का अधिकार रखता है तो वह दीवानी प्रक्रिया संहिता , 1908 के प्रावधानों के अंतर्गत वाद दायर कर आधिपत्य प्राप्त कर सकता है |" धारा 5 में किसी विशिष्ट अचल संपत्ति पर कब्ज़ा प्राप्त करने के लिए प्रमुख आवश्यक बात यही कही गई है कि वादी को उस संपत्ति पर अपना स्वत्व या वैधानिक अधिकार सिद्ध करना पड़ेगा |

legalpossession


उदाहरण 
(Illustration)

        'क' ने अपना मकान 'ख'  को पांच हजार में बेंचा | 'ख' ने पांच रुपये देकर मकान का विक्रय पत्र अपने नाम से पंजीकृत करवा लिया |अगर 'क'  'ख' को उस माकन पर कब्ज़ा नहीं सौपता है तो 'ख' को नियमित दीवानी वाद दायर कर उस मकान पर कब्ज़ा करने का अधिकार है | इसी तरह यदि 'अ' किसी भूमि पर जिसका वह मालिक नहीं है 12 वर्ष या इससे  अधिक समय से शांतिपूर्वक कब्ज़ा किये हुए हो और 'ब' जो उस भूमि का मालिक है अपना कब्ज़ा प्राप्त करने का कोई प्रयास नहीं करता तो मर्यादा अधिनियम 1963 के नियमो के अंतर्गत अब वह आधिपत्य प्राप्त करने के लिए वाद दायर नहीं कर सकता और उसे दीवानी प्रक्रिया द्वारा इस अधिनियम की धारा 5 के अंतर्गत कोई उपचार उपलब्ध नहीं है | यदि किसी व्यक्ति को बेदखल किया जाता है तो वादी को स्वत्व एवं स्वामित्व स्थापित होने  पर ही निष्कासन का वाद दायर किया जा सकता है | धारा 5 के अनुसार वाद दायर करने के लिए वादी को स्वामित्व के साथ यह सिद्ध करना पड़ेगा कि प्रतिवादी से आधिपत्य प्राप्त करने का वैधानिक अधिकार रखता है |

        पिता पुत्र के सह स्वामित्व पर पिता ने 1000 रुपये उधार लेकर प्रतिवादी को संपत्ति का बंधनकारी (mortgage in possession ) के रूप में कब्ज़ा दे दिया |इसमें प्रतिवादी अतिचारी नहीं है ,और वादी आधिपत्य(possession) प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है | इस प्रकार धारा 5 के अंतर्गत किसी विशेष अचल सपत्ति पर कब्ज़ा प्राप्त करने के लिए वादी को उस अचल संपत्ति पर अपना स्वामित्व सिद्ध करना पड़ेगा |सम्पति का मालिक जिसे सम्पत्ति का कब्ज़ा नहीं दिया गया है या जबर्दस्ती बेदखल किया गया है तो वह 12 वर्ष की समयावधि  के अन्दर पुनः कब्ज़ा प्राप्त करने के लिए बाध्य कर सकता है जब कब्ज़ा की डिक्री की मिल जाती है तो वास्तविक कब्ज़ा प्राप्त करने के लिए दिवानी प्रक्रिया संहिता के आदेश अधिनियम 21 नियम 35 व 36 के अंतर्गत उसका निष्पादन करवाया जाता है उसमे उस व्यक्ति से भी कब्ज़ा दिलवाया जाता हिया जो किसी अचल संपत्ति पर वैधानिक रूप से कब्ज़ा रखता हो | जैसा न्यायालय के निष्पादन की डिक्री द्वारा एक किरायेदार से माकन मालिक क्वे हक़ में कब्ज़ा दिलाया जाता है |


Source:  CLA,  LL.B.  3 Year, 1st Semester, 1st Paper

LAW OF CONTRACT 1

Dr. Ram Manohar Lohiya Awadh University, Ayodhya

Dr. RMLAU Ayodhya

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