संविदा के उन्मोचन के ढंग या प्रकार
(Modes of Discharge of Contract)
संविदा का उन्मोचन निम्नलिखित में से किसी भी एक प्रकार द्वारा हो सकता है -
1- संविदा पालन द्वारा - संविदा करने का मुख्य उद्देश्य ही उसका पालन करना होता है | संविदा अधिनियम की धारा 37 में भी यही प्रावधान किया गया है | इसके अनुसार संविदा के प्रत्येक पक्षकार को अपने अपने भाग का पालन करना चाहिए या पालन करने की प्रस्थापना करनी चाहिए | यदि कोई पक्षकार संविदा के अपने भाग का पालन कर लेता है तो वह संविदा द्वारा उद्भूत अपने दायित्व से उन्मोचित हो जाता है और दूसरा पक्षकार यदि अपने भाग का पालन करने में असफल रहता है तो वह संविदा भंग का दोषी माना जाता है और प्रथम पक्षकार को उसके विरुद्ध कतिपय उपचार प्राप्त हो जाते हैं | धारा 38 के अनुसार यदि संविदा का एक पक्षकार अपनी प्रतिज्ञा पूरी करने को तैयार है तथा अन्य पक्षकार उसे ऐसा करने से रोकता है तो पहला पक्षकार उत्तरदायी नही होगा |
2. पालन की असम्भवता (Impossibility of Performance)- ऐसा कोई कार्य करने का करार जिसको कभी किया ही नही जा सकता या जिसका किया जाना नितांत असंभव हो शून्य होता है | संविदा अधिनियम की धारा 56 में इसके लिए प्रावधान किये गए हैं | धारा 56 के अनुसार, वह करार जो ऐसा कार्य करने के लिए हो, जो स्वतः असंभव है, शून्य है |
ऐसा कार्य करने की संविदा, जो संविदा के किये जाने के पश्चात असंभव या किसी ऐसी घटना के कारण जिसका निवारण वचनदाता नही कर सकता था, विधिविरुद्ध हो जाए , तब शून्य हो जाती है जब वह कार्य असंभव या विधिविरुद्ध हो जाए | यदि कार्य के असंभव हो जाने पर करार के दोनों पक्षकार उन्मोचित हो जाते हैं |
उदाहरण (Illustration)
जादू से गुप्त निधि ( खजाना ) का पता चलाने का 'ख' से 'क' करार करता है | यह करार शून्य है, चूँकि यह एक असंभव कार्य है | इसी प्रकार 'क' और 'ख' आपस में विवाह करने की संविदा करते हैं | विवाह के लिए नियत समय के पूर्व 'क' पागल हो जाता संविदा शून्य हो जाती है |
3. करार द्वारा (By Agreement)- धारायें 62 से 67 तक करार द्वारा संविदा के उन्मोलन के प्रावधानों का उपबंध किया गया है | पक्षकार आपस में करार करके एक संविदा को जन्म दे देते हैं तो करार द्वारा उसे समाप्त भी कर सकते हैं करार द्वारा संविदा के उन्मोलन के निम्नलिखित रूप हैं --
(1) संविदा का नवीनीकरण (Novation of Contract)- नवीनीकरण का अर्थ है पुरानी संविदा के स्थान पर नई संविदा का प्रतिस्थापित होना |
(2) संविदा का विखंडन तथा परिवर्तन (Rescission and Alteration of contract )-- यदि संविदा के पक्षकार संविदा को विखंडित या परिवर्तित करते हैं तो मूल संविदा का पालन करना अनिवार्य नही रह जाता है |
(3) वचनग्रहीता द्वारा पालन से अभिमुक्ति दे दिए जाने पर (Promisee may dispense with or remit performance of promise) - वचनग्रहीता वचनदाता के वचन के पालन से पूर्ण अभिमुक्ति प्रदान कर सकता है |
उदाहरण (Illustration)
'ख' के लिए 'क' एक रंगचित्र बनाने का वचन देता है | बाद में 'ख' उससे वैसा करने का निषेध कर देता है | 'क' उस वचन के पालन के लिए अब आबद्ध नहीं है |
4. संविदा भंग द्वारा (By Breach of contract )- जब संविदा के पक्षकारों में से कोई पक्षकार संविदा भंग करता है तो संविदा का उन्मोचन हो जाता है | यह दो प्रकार से हो सकता है --
- पूर्वानुमान भंग (Anticipatory Breach) ,
- पालन के दौरान (During Performance)|
5. विधि द्वारा (By operation of Law) - विधि के क्रियान्वयन द्वारा भी संविदाओं का उन्मोचन हो सकता है |
Source: CLA, LLB. 3 Year , First Semester, 1st Paper
LAW OF CONTRACT - I
Dr. Ram Manohar Lohiya Awadh University, Ayodhya
Dr. RMLAU Ayodhya
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