संविदा की गुप्तता अथवा निकटता - - अंग्रेजी विधि का यह मान्य सिद्धान्त है कि कोई संविदा किसी ऐसे व्यक्ति को अधिकार प्रदान नही करती है जोकि उसका पक्षकार नही है |
महत्त्वपूर्ण मामले (Important cases)
टिवडवेल बनाम ऐटकिन्सन [1861] 1 B & C 393 के मामले में वादी तथा प्रतिवादी की पुत्री के बीच होने वाली शादी के परिणामस्वरूप वादी के पिता तथा प्रतिवादी ने प्रतिज्ञा की कि वे वादी को निश्चित धनराशि देंगे साथ ही यह भी स्वीकार किया गया कि पक्षकार उपर्युक्त प्रतिज्ञा को प्रवर्तन कराने के लिए दावा कर सकते है | प्रतिवादी के द्वारा प्रतिज्ञा पालन न करने पर दावा पेश किया गया | न्यायालय ने निर्धारित किया कि यह भली - भांति स्थापित नियम है कि कोई अजनबी किसी ऐसी संविदा से लाभ नही उठा सकता है जो कि उस संविदा का पक्षकार नही है |
डनलप न्यूमेटिक टायर कं o लि o बनाम सेल्फ्रेज एण्ड कं o [1915] A.C. 844 के मामले में उपरोक्त वाद के निर्णय को स्वीकार करते हुए न्यायालय द्वारा अभिनिर्धारित किया गया कि इंग्लैंड की विधि में कुछ सिद्धांत मौलिक है |उनमे से एकयह है केवल संविदा के पक्षकार ही उसके आधार पर दावा कर सकते है |
बैस्विक बनाम बैस्विक, [1966 ] 3 आल० ई० आर० में भी इस सिद्धांत को मान्यता दी गई है | संविदा की गुप्तता का सिद्धांत भारत में भी मान्य है | जमुनादास बनाम राम अवतार (1911) 39 IA 7 के मामले में एक क्रेता ने संपत्ति खरीदते समय संपत्ति पर बंधक ऋण भुगतान करने की संविदा की | बंधक ग्रहीता ने ऋण प्राप्त करने के लिए दावा किया | प्रिवी काउन्सिल ने निर्णय दिया कि वह उसका अधिकारी नहीं है क्योंकि वह संविदा का पक्षकार नहीं था |
कृष्ण लाल बनाम प्रमिला बाला ए० आई० आर० 1928 Cal 518 के मामले में न्यायालय द्वारा कहा गया कि धारा 2 में ऐसा कुछ नहीं है कि जिससे कहा जा सके कि वह व्यक्ति जो संविदा का पक्षकार नहीं है संविदा को लागू करवा सकता है |
संविदा की गुप्तता (निकटता ) के सिद्धांत के अपवाद
1- न्यास अथवा भार - जब अन्य या तीसरे व्यक्ति के पक्ष में किसी संपत्ति में भार या न्यास उत्पन्न हो जाता है तो यह सिद्धांत लागू नहीं होता है तथा अजनवी व्यक्ति ऐसी संविदा को लागू करवा सकता है |
ख्वाजा हुसैन बनाम हुसेनी बेगम (1910) 37 I.A. 152 के मामले में पुत्र के विवाह के प्रतिफल के रूप में एक मुस्लमान स्त्री के ससुर ने खर्चा ए पायदान के रूप में रूपये सेने का करार किया | करार के समय स्त्री तथा उसका पति नाबालिग था | उक्त धन न दिए जाने पर दावा किया गया | न्यायालय ने अभिनिर्धारित किया कि प्रतिवादी पर संविदा बंधनकारी है तथा वादी उसका प्रवर्तन करा सकती है |
2- हिन्दू परिवार के विभाजन एवं विवाह के खर्चे आदि - हिन्दू परिवार के विभाजन पर महिला सदस्यों के गुजारे आदि के सम्बन्ध में संविदा की गुप्तता का सिद्धांत लागू नहीं होता है | यदि ऐसा संयुक्त पारिवारिक संपत्ति को पुरुष सदस्यों में विभाजित किया जाता है | और ऐसा प्रावधान रखा जाय कि महिला सदस्य के विवाह के खर्चे उसी संपत्ति से होंगे तो महिला उक्त करार को लागू करवा सकती है |
3- अभिस्वीकृत (Acknowledgement)- जब किसी संविदा के अंतर्गत कोई पक्षकार तीसरे व्यक्ति को धन देना स्वीकार करता है और वह इसकी अभिस्वीकृति को कर लेता है तो तीसरा या अन्य व्यक्ति वह संविदा लागू करवा सकता है |
4- भूमि से सम्बद्ध करार - किसी ऐसी भूमि का क्रेता भूमि से सम्बद्ध किसी ऐसे करार से आबद्ध होता है जो की भूमि को प्रभावित करती है तो वहां यह सिद्धांत लागू नहीं होता है |
5- परक्राम्य लिखत अधिनियम से सम्बद्ध विधि - परक्राम्य लिखत विधि पर संविदा की गुप्तता का सिद्धांत लागू नहीं होता है |
6- अभिकर्ता की संविदा - अभिकर्ता द्वारा की गई संविदा जोकि प्राधिकार क्षेत्र में स्वामी के नाम से की जाती है स्वामी द्वारा प्रवर्तित कराई जा सकती है |
Source: CLA,
Class- LLB. 3 Year Programme , 1st Semester, 1st Paper
Paper- Law of Contract- I
Dr. Ram Manohar Lohiya Awadh University Ayodhya (Dr. RMLAU Ayodhya)
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