धर्म, मूल वंश,जाति, लिंग, जन्म-स्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध
(No Discrimination on grounds of Religion, Race, Caste, Sex, Place if Birth )
यह मूल अधिकार केवल भारतीय नागरिको को ही संविधान अनु० 15 (1) द्वारा प्रदान और गारंटी किया गया है और अनु० `14 में प्रतपादित विधि- शासन के सामान्य नियम का ही एक विशिष्ट उदाहरण है |
विधि शासन के रूप में विधि के समक्ष समता या समान संरक्षण का मूल अधिकार नागरिक और अनागरिक, सभी व्यक्तियों को प्राप्त है, किन्तु यदि किसी स्थान अथवा इनमे से किसी भी एक आधार पर कोई भेद-भाव बरता जाता है, तो वह अनु० 14 के अंतर्गत ऐसे भेदभाव के विरुद्ध कोई आपत्ति नहीं कर सकता है | इसके विपरीत, यदि कोई विधि अनु० 15 (1) में दिए गए किन्ही अधरों पर किसी नागरिक के साथ भेद- भाव बरतने के कारण अवैध है, तो अनु० 14 के अंतर्गत युक्तियुक्त वर्गीकरण के आधार पर भी वैध नहीं ठहराया जा सकता है |
विभेद का आधार
(Grounds of Discrimination)
अनु० 15 (1) केवल निम्नलिखित पांच आधारों पर भेद-भाव बरतने के लिए राज्य को वर्जित करता है | (1) धर्म, या (2) मूलवंश (Race), (3) जाति (Caste ) (4) लिंग (sex), (5) जन्म-स्थान (Place of Birth) | इं पांच अधरों के अतिरिक्त यदि किन्ही अन्य आधारों पर राज्य किसी नागरिक या किन्ही नागरिको के विरुद्ध किसी प्रकार का भेद-भाव बरतता है, तो भेद-भाव के विरुद्ध अनु० 15 (1) के अधीन आपति नहीं की जा सकेगी |
उत्तर प्रदेश राज्य बनाम प्रदीप टंडन (AIR 1975 SC 563) के मामले में, उत्तराखंड मेडिकल कालेज में प्रवेश के लिए उत्तर प्रदेश के निबसियों के लिए प्रवेश - शुल्क से मुक्त किया गे था किन्तु प्रदेश के बहार के छात्रों को अतिरिक्त प्रवेश शुल्क देना पड़ता था | इस नियम अनु० 14 और अनु० 15 के अंतर्गत चनौती दिए जाने पर न्यायालय ने उसे इस आधार पर वैध ठहराया कि भेद-भाव जन्मस्थान के आधार पर नहीं , बल्कि निवास-स्थान के अधर पर किया गया था | इन दोनों आधारो के अर्थों में अंतर है | अनु० 15 (1) केवल जन्मस्थान के आधार पर, न कि निवास-स्थान के आधार पर भेद- भाव बरतना वर्जित करता है |
राज्य एवं दोनों के द्वारा विभेद का वर्जन
अनु० 15 का खण्ड (2) खण्ड (1) के सामान्य नियम का ही, एक विशिष्ट उदहारण है, जिसके अनुसार, कोई भी नागरिक, बिना किसी शर्त, प्रतिबन्ध, उत्तरदायित्व, या अयोग्यता के --
1. दुकानों, सार्वजानिक रेस्तरो, होटलों और सार्वजानिक मनोरंजन के स्थानो में प्रवेश करने का, या
2. ऐसे कुओ,तालाबो,स्नान-घाटो , सड़कों एवं अन्य सार्वजानिक समागम के स्थान का उपयोग करने का, जो जनता का उपयोग करने के लिए समर्पित कर दिए गए है, या जो राज्य-निधि द्वारा पूर्ण या आंशिक रूप से पोषित हैं-अधिकारी होगा और उसके साथ केवल धर्म मूलवंश या जाति या जन्म-स्थान के किसी आधार पर भेद- भाव नहीं बरता जायेगा |
अनु० 15 (2) के अधीन प्रदत्त मूल अधिकार निजी व्यक्तियों के विरुद्ध भी प्राप्त है,जबकि अनु० 15 (1) द्वारा प्रदत्त मूल अधिकार केवल राज्य के विरुद्ध ही प्राप्त है | इसलिए अनु० 15 (2), अनु० (15) 1 से अधिक विस्तृत है और हिन्दू समाज में व्याप्त धार्मिक और सामाजिक कुरीतियों का उन्मूलन करने के उद्देश्य से प्रेरित है |
अपवाद (Exceptions)
1.स्त्री एवं बच्चों के लिए विशेष उपबंध --अनुच्छेद 15 खण्ड (3) के अनुसार, इस अनुच्छेद की कोई भी बात, राज्य को स्त्रियों और बालको के लिए कोई विशेष उपबंध करने से नहीं रोकेगी अर्थात राज्य स्त्रियों और बालको के लिए कोई भी विशेष उपबंध कर सकता है | स्त्रियों और बालकों को यह विशेष संरक्षण, उनकी स्वाभाविक कमजोर स्थिति के कारण प्रदान किया गया है |
युसूफ अब्दुल अजीज बनाम बम्बई राज्य, (AIR 1954 SC 321) के मामले में याचिकाकर्ता को भारतीय दण्ड संहिता की धारा 497 के अंतर्गत जारकर्म (Adultery) के अपराध के लिए दण्डित किया गया था | उसकी आपत्ति यह थी कि धारा 497 के अंतर्गत दुष्प्रेरक (abettor) के रूप में दण्डित नहीं किया जाता है | यह भेद-भाव लिंग के आधार पर अनुचित है | उच्चतम न्यायालय ने निर्णय दिया कि भारतीय दण्ड संहिता की धारा 497 संवैधानिक रूप से वैध है क्योंकि वर्गीकरण केवल लिंग के आधार पर ही नहीं है, बल्कि समाज में स्त्रियों को विशेष स्थिति के आधार पर भी किया गया है |
2. सामाजिक एवं शैक्षणिक दृष्टि से पिछडे वर्गों के लिए विशेष उपबंध --खण्ड (4) के अनुसार, इस अनु० (अर्थात अनु० 15 ) की या अनु० 29 (2) की कोई बात राज्य को सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े हुए नागरिको के वर्गों की उन्नति के लिए या अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जन-जातियों के लिए कोई विशेष उपबंध करने से नहीं रोकेगी |
3. संविधान के 93वे संशोधन अधिनियम, 2005 के द्वारा अनु० 15 में न्याय खण्ड 5 जोड़ा गया है जो कि यह उपबंधित करता है कि अनु० 15 या अनु० 19 (1) (g) की कोई बात राज्य को शैक्षिक या सामाजिक रूप से पिछडे किसी वर्ग के नागरिको को या अनुसूचित जाति या अनुसूचित जन-जाति के प्रगति के लिए सरकारी सहायता प्राप्त या गैर- सरकारी सहायता प्राप्त शिक्षण संस्थाओ में, अनु० 30 (1) में उल्लिखित अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थाओ को छोड़कर, प्रवेस्झ के सम्बन्ध में विधि के द्वारा विशेष उपबंध बनाने से नहीं रोकेगी |
सामाजिक और शैक्षिणिक दृष्टि से पिछड़ा वर्ग (backward class) कौन है ? इसका निर्धारण करने की शक्ति राज्य की है, किन्तु राज्य का निर्णय अंतिम नहीं है | उपर्युक्त मामलों में न्यायालय हस्तक्षेप कर सकता है |
बालाजी बनाम मैसूर राज्य, (AIR 1963 SC 649 ) के मामले में राज्य सरकार ने राज्य के मेडिकल और इंजीनियरिंग कालेजों में प्रवेश हेतु अनु० 15 (4) के अंतर्गत पिछड़े वर्गों के लिए निम्न प्रकार से स्थानों का आरक्षण किया था --
1. पिछड़े वर्गों के लिए 28%
2. अधिक पिछड़े वर्गों के लिए 22%
3. अनुसूचित जातियों और आदिवासियों के लिए 18% = कुल 68% |
कुछ योग्यतम प्रताय्शियों ने इस राजाज्ञा को चुनौती दी, क्योंकि उसके कारण कम अंक पाने वाले पिछड़े वर्गों के प्रत्याशियो को स्वतः प्रवेश मिल जाता था, जबकि अधिक पाने वाले योग्य प्रत्याशियों को स्वतः प्रव्वेश नहीं मिल पाता था |
उच्चतम न्यायालय ने निर्णय दिया कि 'पिछड़े वर्गों ' और ' अधिक पिछड़े वर्गों ' के बीच में किया गया उपवर्गीकरण अनु० 15 (4) के अंतर्गत न्यायोचित नहीं है | अनु० 15 (4) सामाजिक और आर्थिक दोनों दृष्टियो से पिछड़ेपन की परिकल्पना करता है, न कि केवल या केवल आर्थिक दृष्टिकोण से | कोई विशेष वर्ग पिछड़ा वर्ग है या नहीं, इस बात के निर्धारण के लिए व्यक्ति की जाति ही एकमात्र कसौटी नहीं हो सकती है | गरीबो, पेशा और निवास- स्थान आदि बातों पर भी विचार किया जाना चाहिए |
इन्द्रा साहनी बनाम भारत संघ (मण्डल आयोग का मामला ) [(AIR 1993 SC 477)] के मामले में इस निर्णय को उअलत दिया गया और कहा गया कि पिछड़े वर्ग तथा अधिक पिछड़े वर्ग में वर्गीकरण किया जा सकता है | पिछड़े वर्ग में अधिक संपन्न वर्ग (Creamy layer) के निर्धारण के लिए यह आवश्यक है तथा यह भी कहा जाता है कि जाति इस बात के निर्धारण के लिए कसौटी हो सकती है | कुछ विशिष्ट परिस्थितियों में आरक्षण 50 प्रतिशत से भी अधिक हो सकते है |
वलसम्मा पाल बनाम कोचीन विश्वविद्यालय, [(1996) 3 SCC 545] के मामले में यह निर्धारित किया गया है कि उच्च जाति की महिला यदि पिछड़ी जाति के सदस्य से विवाह कर लेती है तो उसे अनु० 15 (4) तथा 16 (4) का लाभ नहीं होगा |
इसी प्रकार का निर्णय मीरा कांवरिया बनाम सूनीता, (AIR 2006 SC 597) में दिया गया है | अनुसूचित जाति की महिला से विवाह कर लेने पर उच्च जाति के पुरुष को इस वाद में आरक्षण का लाभ नहीं प्रदान किया गया |
पी ० व्ही ० श्रीवास्तव बनाम मध्य प्रदेश राज्य, (AIR 1999 SC 2894 ) के मामले में उच्चतम न्यायालय ने अभिनिर्धारित किया कि मेडिकल एवं इंजीनियरिंग कालेजों में परास्नातक के पाठ्यक्रमो के लिए प्रवेश केवल योग्यता के आधार पर ही दिया जाना चाहिए न कि आरक्षण के आधार पर |
नारायण शर्मा बनाम पंकज कुमार लेह्कर, (AIR 2000 SC 72 ) के मामले में असम के मेडिकल कालेज में असं मेडिकल कालेज परास्नातक पाठ्यक्रम प्रवेश,नियम 1997 के अंतर्गत परास्नातक पथाय्क्रमो में य्त्तरी पूर्वी परिषद् (NEC) की सिफारिश पर कतिपय सीटों को आरक्षित किये जाने की विधि मान्यता को चुनौती दी गई थी | मेडिकल प्रवेश के नियमो के अंतर्गत 4 सींटे उत्तरी - पूर्वी परिषद् कोटे में, 6 सीटे अध्यापक कोटे में 20 सीट राज्य के स्वास्थ्य सेवा कोटे में आरक्षित करने की व्यवस्था की गई थी | प्रत्यार्थियो का अभिकथन था कि उपर्युक्त नियम असंवैधानिक थे और प्रार्थना की कि उन्हें केवल प्रवेश परीक्षा के आधार पर तथा योग्यता के आधार पर प्रवेश दिया जाना चाहिए |
उच्चतम न्यायालय ने यह अभिनिर्धारित किया कि पिछड़े वर्ग या अनुसुचित जाति अथवा अनुसूचित जन जाति की प्रगति के लिए सरकारी या गैर सरकारी शिक्षण संस्थाओ में प्रवेश के लिए आरक्षण का उपबंध [ अनुच्छेद 15 (5)] संविधान के 93 वे संशोधन अधिनियम के द्वारा अनुच्छेद 15 (4) के पश्चात् जोड़ा गया है | अशोक कुमार ठाकुर बनाम भरता संघ (10 अप्रैल, 2008) के मामले में उच्चतम न्यायालय के पांच न्यायाधीशो की संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से केन्द्रीय शिक्षण संस्थान ( प्रवेश में आरक्षण ) अधिनियम,2006 को संवैधानिक ग्घिषित कर दिया गया है, जिसके द्वारा केन्द्रीय उच्च शिक्षण संस्थानों में जिनमे आई० एम० एस० और आइ० आइ० एम० एस० औए अन्य केन्द्रीय शिक्षण संसथान आते है, में अन्य पिछड़ा वर्ग को 27% आरक्षण देने के उपबंध किया गया है परन्तु क्रीमी लेयर को इस आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा | क्रीमी केयर का प्रावधान अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के छात्रों पर लागू नहीं होगा | यह आरक्षण दूसरो के हितो को प्रभावित किये बिना लागू किया जायेगा | अन्य वर्ग के स्थानों में कमी नहीं की जाएगी | अन्य पिछड़े वर्ग की सींटे इसके अतिरिक्त होंगी |
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