प्रस्थापना के प्रतिसंहरण की रीतियाँ - भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 6 में प्रतिसंहरण की विभिन्न रीतियों का उल्लेख किया गया है | किसी प्रस्थापना का उसके प्रतिग्रहण से पूर्व निम्नांकित से प्रतिसहरण किया जा सकता है -
1- प्रतिसंहरण की सूचना के द्वारा -- प्रस्तावक प्रतिग्रहीता को अपनी प्रस्थापना के प्रतिसंहरण की सूचना देकर उसे प्रतिसंहृत कर सकता है | प्रतिसंहरण का एक सामान्य तरीका है ऐसी सूचना या तो स्वयं प्रस्तावक द्वारा दी जा सकती है या फिर उसके अभिकर्ता द्वारा | कोई अन्य व्यक्ति सूचना नहीं दे सकता | सूचना अभिव्यक्त अथवा विवक्षित रूप से दी जा सकती है |
डिकिन्सन बनाम डाड्स, (1876) 2 सी० एच०डी० 463 का मामला प्रतिसंहरण की सूचना के सम्बन्ध में यह एक महत्वपूर्ण मामला है | इसमें 10 जून 1874 को डिकिन्सन ने डाड्स का एक पत्र प्राप्त किया जिसमे यह प्रस्थापना की गयी थी कि वह अपना एक गृह 800 पौण्ड में बेचना चाहता है | प्रस्थापना में एक खण्ड यह था " यह 12 जून 1874 के 9 बजे प्रातः तक चालू रहेगा |" डिकिन्सन ने संपत्ति को 800 पौण्ड में खरीदने का निश्चय 11 जून को कर लिया | लेकिन उसने 11 जून को प्रतिसंहरण की संसूचना नहीं भेजी | इसी बीच डाड्स ने अपनी संपत्ति 11 जून को 810 पौण्ड में किसी अन्य को बेंच दी | डिकिन्सन को इस तथ्य की जानकारी एक दलाल से मिली और उसने तुरंत अपना प्रतिग्रहण डाड्स के पास भेजा , ताकि वह समय के भीतर उसके पास पंहुच जाये | यह अभिनिर्धारित किया गया कि प्रस्थापना का 11 जून को ही प्रतिसंहरण हो चुका था , जब डिकिन्सन को दलाल से यह पता चला कि डाड्स संपत्ति 810 पौण्ड में किसी अन्य व्यक्ति को बेच चुका है |
लेकिन भारतीय विधि इंग्लिश विधि से भिन्न है यहाँ प्रस्थापना के प्रतिसंहरण की सूचना प्रस्तावक द्वारा दुसरे पक्षकार को दी जानी आवश्यक है |
2- प्रतिग्रहण के लिए निर्धारित समय के बीत जाने पर -- जहाँ प्रस्थापना में उसके प्रतिग्रहण के लिए कोई समय निश्चित कर दिया गया, हो वहां उस समय के भीतर प्रतिग्रहण नहीं किये जाने पर प्रस्थापना का प्रतिसंहरण हो जाता है | लेकिन जहाँ इस प्रकार कोई समय निश्चित नहीं किया गया हो वहां युक्तियुक्त समय बीत जाने पर उस प्रस्थापना का प्रतिसंहरण मान लिया जायेगा | प्रतिसंहरण में अनुचित या अनावश्यक विलम्ब इसका एक अच्छा उदाहरण हैं |
3- पूर्ववर्ती शर्त को पूरा करने में असफल रहने पर - जहाँ किसी प्रस्थापना के प्रतिसंहरण से पूर्व किसी पुरोभाव्य शर्त को पूरा किया जाना हो , वहां ऐसी शर्त को पूरा किये जाने में असफल रहने पर प्रस्थापना का प्रतिसंहरण हो जायेगा |
उदाहरण - 'क' अपना एक गृह 'ख' को इस शर्त के साथ बेचने की प्रस्थापना करता है कि वह 'ख' 'क' को एक निश्चित तिथि तक अमुक धनराशि अग्रिम के रूप में देगा | 'ख' उस तिथि तक यह धनराशि देने में असफल रहता है | 'क' की प्रस्थापना का प्रतिसंहरण मान लिया जायेगा |
4- प्रस्थापनाकर्ता की मृत्यु हो जाने अथवा उसके उन्मत हो जाने पर - प्रस्थापना का प्रतिसंहरण हो जाता है ; यदि -
1- प्रस्तावक की मृत्यु हो जाती है या उन्मत (Insane) हो जाता है ; और
2- ऐसी मृत्यु अथवा उन्मत्तता (Insanity) प्रतिग्रहण से पूर्व प्रतिग्रहीता के ज्ञान में आ जाती है |
राजा ऑफ़ बोबिल बनाम ए० सूर्यनारायण राव, (1919) 42 मद्रास 776 का मामला- इस वाद में न्यायालय द्वारा नीलाम विक्रय का सञ्चालन किया जा रहा था |बोली को न्यायालय द्वारा स्वीकृत किया जाना संविदा की एक शर्त थी |न्यायालय द्वारा बोली को स्वीकृत किये जाने के पूर्व ही बोली लगाने वाले व्यक्ति की मृत्यु हो गयी | यह अभिनिर्धारित किया गया कि बोली का प्रतिसंहरण हो गया था |
5- बोली को स्वीकार किये जाने से पूर्व- नीलाम द्वारा विक्रय में बोली (Bid) को , उसके स्वीकार किये जाने से पूर्व कभी भी वापस लिया जा सकता है | (स्टेट ऑफ़ हरियाणा बनाम मलिक ट्रेडर्स , ए० आई० आर० 2011 एस० सी० 3574)
Source: CLA, LLB 3 Year, 1st semester, 1st Paper, Law of Contract.
Dr. Ram Manohar Lohiya Awadh University, Ayodhya (Dr. RMLAU Ayodhya)
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