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प्रश्न - उत्पीडन किसे कहते हैं ? संविदा पर इसके प्रभाव को बताते हुए उत्पीडन पूर्व विवाध्यता में अंतर कीजिये |

 उत्पीडन (Coercion)

        धारा 15 के अनुसार - ''उत्पीड़न'' इस आशय से कि किसी व्यक्ति से कोई करार किया जाय, चाहे ऐसा कार्य करना या करने की धमकी देना है ,जो भारतीय दण्ड संहिता द्वारा निषिद्ध है अथवा किसी व्यक्ति पर, चाहे वह कोई हो, प्रतिकूल प्रभाव डालने के किसी सम्पत्ति का विधि विरुद्ध निरोध करने की धमकी देना है |

coercionandduress


उत्पीड़न के आवश्यक तत्व -

  1. भारतीय दण्ड संहिता द्वारा निषिद्ध कोई कार्य करना ,या 
  2. ऐसा कार्य करने की धमकी देना ,या 
  3. किसी सम्पत्ति का विधि विरुद्ध निरोध करना ,या 
  4. ऐसे निरोध की धमकी देना , 
  5. आर्थिक, सामाजिक, मानसिक या शारीरिक रूप से क्षति पहुँचाना, उत्पीडन है  |

           उत्पीडन में विधिविरुध्द कोई कार्य करना या करने की धमकी देना दोनों सम्मिलित आवश्यक मात्र यह है ऐसा कार्य भारतीय दण्ड संहिता द्वारा दण्डनीय या निषिद्ध हो  उत्पीडन के लिए तीन बातें साबित करनी होती हैं -    

1. धमकी का प्रकटन   
2. भारतीय दण्ड संहिता द्वारा निषिद्ध कोई कार्य एंव  
3.ऐसा कार्य करने के लिए बाध्य करने का आशय | 

 महत्वपूर्ण वाद  
    1.रंगनायकम्मा बनाम अलबर चेट्टी (1889)13 मद्रास 214 का मामला -इस वाद में एक तेरह वर्षीय लड़की को जिसका पति मरा ही था , उसके पति के लिए एक लड़के को दत्तक लेने के लिए अपनी सम्मति देने हेतु बलपूर्वक बाध्य किया गया, इस धमकी के साथ कि यदि वह ऐसी सम्मति नहीं देगी तो उसके मृतक पति के शव को दाह संस्कार के लिए वहाँ से हटाने नहीं दिया जायेगा | यह अभिनिर्धारित किया गया कि दत्तक विधिमान्य नहीं था, क्योंकि उत्पीड़न द्वारा कराया गया था |
     2. मुथैय्या चेट्टियार बनाम करुपान चेट्टियार, (1927 )50 मद्रास 786 का मामला _इस वाद में एक अभिकर्ता ने अपने कार्य काल की समाप्ति पर तब तक कारोबार की लेखा पुस्तकों को देने से इन्कार कर दिया जब तक कि मालिक अभिकरण (agency )के सम्बन्ध में होने वाले समस्त दायित्त्वों के लिए उसको निर्मुक्ति पत्र न दे दे | यह अभिनिर्धारित किया गया कि निर्मुक्ति पत्र उत्पीड़न के अधीन था | 

क्या आत्महत्या की धमकी देना उत्पीड़न होगा ?

        इस सम्बन्ध में मतभेद है कि आत्महत्या की धमकी देना उत्पीड़न कहलायेगा या नहीं क्योंकि भारतीय दण्ड संहिता में आत्महत्या का प्रयास करना दण्डनीय है न कि उसकी धमकी देना | 
        अम्मीराजू बनाम सेशम्मा, (1917) 41 मद्रास 33 के मामले में एक व्यक्ति ने अपनी पत्नी और लड़के को धमकी दी कि वह आत्महत्या कर लेगा यदि उन्होंने संपत्ति के बांड उनके पक्ष में नहीं लिखे | न्यायालय ने अभिनिर्धारित किया कि कार्य उत्पीडन के तहत माना जाना चाहिए |

उत्पीडन तथा विवाध्यता में अंतर
(Difference between Coercion and Duress) 
1- उत्पीडन किसी व्यक्ति के शरीर तथा संपत्ति दोनों के विरुद्ध हो सकता है |
1- विवाध्यता केवल व्यक्ति के शरीर के विरुद्ध होती है, संपत्ति के विरुद्ध नहीं |
2- उत्पीडन किसी तीसरे व्यक्ति के द्वारा या उसके विरुद्ध हो सकता है |
2- विवाध्यता केवल संविदा के पक्षकार या उसके अभिकर्ता की ओर से ही अग्रसर हो सकती है किसी अन्य व्यक्ति की ओर से नहीं |
3- उत्पीडन में तत्काल हिंसा कारित करने जैसी कोई बात नहीं होती है |
3- विवाध्यता में तत्काल हिंसा कारित करने जैसी कोई बात निहित रहती है |
4- उत्पीडन में किसी व्यक्ति की सामान्य मानसिक दृढ़ता को प्रभावित करने जैसी कोई बात का होना आवश्यक नहीं है | इसमें भारतीय दण्ड संहिता द्वारा निषिद्ध कोई कार्य करना या करने की धमकी देना या किसी संपत्ति का विधि विरुद्ध तरीके से निरोध करना या निरोध करने की धमकी देना मात्र पर्याप्त है |
4- विवाध्यता किसी व्यक्ति की सामान्य मानसिक दृढ़ता को प्रभावित करने वाली होती है |

Source:- CLA, LLB. 3 Year Programme, 1st Semester, 1st Paper
LAW OF CONTRACT

Dr. Ram Manohar Lohiya Awadh University Ayodhya ( Dr. RMLAU Ayodhya )



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