असम्यक असर - किसी संविदा को दूषित करने वाला एक महत्वपूर्ण तत्व है | जबकि जब कोई संविदा असम्यक असर के अधीन हो जाती है तो उसके बारे में यह कहा जाता है कि वह स्वतन्त्र सम्मति से नहीं की गयी है |
असम्यक असर अथवा अनुचित प्रभाव
(Undue influence)
परिभाषा - कोई असर असम्यक असर तब कहा जाता है जब एक व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति को अधिशासित करने की स्थिति में होता है और वह ऐसी स्थिति का उपयोग उस दूसरे से अनुचित फायदा अभिप्राप्त करने के लिए करता है |
संविदा अधिनियम की धारा 16 में इसे इस प्रकार परिभाषित किया है -
" संविदा असम्यक असर द्वारा उत्प्रेरित की जाती है जहाँ कि पक्षकारों के बीच विद्यमान सम्बन्ध ऐसे है कि उसमें से एक पक्षकार दूसरे की एच्छा को अधिशासित करने की स्थिति में है और उस स्थिति का उपयोग उस दूसरे पक्षकार से अऋजु फायदा अभिप्राप्त करने के लिए करता है |"
इस प्रकार असम्यक असर में -
- दो व्यक्तियों के बीच ऐसे सम्बन्ध होते है, जिनमें से एक दूसरे की इच्छा को अधिशासित करने की स्थिति में होता है,
- ऐसी अधिशासित स्थिति में होने वाला व्यक्ति उस दूसरे से अनुचित फायदा अभिप्राप्त करता है, एंव
- ऐसे अनुचित फायदा अभिप्राप्त करने में वह व्यक्ति अपनी उस स्थिति का उपयोग करता है |
दूसरे शब्दों में, यह हम सकते है कि असम्यक असर में किसी व्यक्ति को उसकी इच्छा के विरुद्ध कोई कार्य करने के लिए विवश किया जाता है, जिसे वह नहीं करता, यदि उसे स्वतन्त्र एवं विचारपूर्वक निर्णय लेने के लिए छोड़ दिया जाता है |
अधिशाषित करने की स्थिति- कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति की इच्छा को अधिशाषित करने की स्थिति में है या नहीं यह एक तथ्य का प्रश्न है एवं इसका कोई एक निश्चित ऊत्तर दे पाना कठिन है |
सामान्यतः निम्नलिखित अवस्थाओं में हम इस प्रकार की स्थिति का अनुमान कर सकते हैं-
- जहाँ एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति पर वास्तविक या दृश्यमान प्राधिकार रखता हो, या
- उनके बीच वैश्वासिक सम्बन्ध हो,
- उस दूसरे व्यक्ति की मानसिक समर्थ पर आयु, रुग्णता, या मानसिक अथवा शारीरिक कष्ट के कारण स्थायी व अस्थायी रूप से प्रभाव पड़ा हो |
पर्दानशीन स्त्री की स्थिति
(Position of Pardanashin Women)
पर्दानशीन स्त्रियों के साथ किये जाने वाले संव्यवहारों में भी स्वतन्त्र सम्मति के तथ्य पर विचार किया जाता है | ऐसे मामलों में यह देखा जाता है कि क्या इस बात का पर्याप्त साक्ष्य उपलब्ध है कि पर्दानशीन महिला दस्तावेज की अन्तर्वस्तुओं को समझ गयी थी और उसकी शर्तों से सहमत हो गयी थी |
पर्दानशीन स्त्री की व्याख्या करना बड़ा ही कठिन है |
श्रीमती हंसराज बनाम यशोदानन्द , AIR 1996 SC 761 के मामले में अभिनिर्धारित किया गया कि एक हरिजन महिला जो अपने पति की मृत्यु के पश्चात् दयावश रेलवे की सेवा में ले ली जाती है | उसके कोई बच्चा नहीं है तथा उसकी अज्ञानता या अनपढ़ की स्थिति में उसे पर्दानशीन औरत नहीं माना जा सकता |
जो कोई व्यक्ति एक पर्दानशीन औरत के साथ संविदा करता है तो उसे दर्शित करना पड़ेगा कि संविदा के निबंधन उचित एवं साम्यपूर्ण है तथा महिला को मामले में स्वतन्त्र सलाह उपलब्ध थी |
असम्यक असर को सिद्ध करने का भार
(Burden of Proving Undue Influence)
यह प्रश्न कि कोई दस्तावेज असम्यक असर के अधीन निष्पादित किया गया है अथवा नहीं, एक तथ्य का प्रश्न है |
बेलाची बनाम पाकीरन AIR 2009 SC 3293 के मामले में भी उच्चतम न्यायालय द्वारा यह अभिनिर्धारित किया गया है कि - कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति की इच्छा को अधिशासित करने की स्थिति में है या नहीं , यह एक तथ्य का प्रश्न है |
साधारणतया असम्यक असर को साबित करने का भार उस व्यक्ति पर होता है जो ऐसे अभिवक , का अभिकथन कटा है | लेकिन जहाँ मामले की परिस्थितियां भिन्न हो वहां इसके विपरीत भी हो सकता है |
जहाँ दो व्यक्तियों में से एक व्यक्ति, दूसरे व्यक्ति की इच्छा को अधिशासित करने की स्थिति में हो, वहां यह साबित करने का भार कि संव्यवहार में ऐसी स्थिति का उपयोग नहीं किया गया था , उस व्यक्ति पर होता है , जो अधिशासित करने की स्थिति में है |
Source: CLA, LLB. 3 Year Programme, 1st Semester, 1st Paper
LAW OF CONTRACT - I
Dr Ram Manohar Lohiya Awadh University Ayodhya
Dr RMLAU Ayodhya
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