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प्रश्न - प्रतिफल किसे कहते हैं? इसके आवश्यक तत्वों की उदाहारण सहित व्याख्या कीजिए |

             प्रतिफल --संविदा विधि में  प्रतिफल का एक विशेष स्थान है | यह संविदा का एक महत्त्वपूर्ण अंग माना गया है | कतिपय अपवादों को छोड़कर प्रतिफल के अभाव में किये जाने वाले करार शून्य होते है | वह प्रतिफल ही है जो पक्षकारो को किसी बात को करने के लिए अथवा करने से प्रविरत रहने के लिए प्रेरित करता है |

Consideration

प्रतिफल की परिभाषा 
(Definition of Consideration)

पोलक (Pollock) के अनुसार किसी पक्षकार द्वारा कोई कार्य करना या कोई करने से प्रविरत रहना या ऐसा कोई कार्य करने या करने से प्रविरत रहने का वचन देना ही वह मूल्य है जिसके बदले मे दूसरे पक्षकार के वचन का क्रय किया जाता है और ऐसा वचन प्रवर्तनीय होता है |  

   एंसन (Anson) के अनुसार प्रतिफल  वह वस्तु  है जिसे किया जाय या जिसे करने का वचन दिया जाय और जिसको वचनग्रहीता वचन के सम्बन्ध में करने से प्रविरत रहता है या सहन करता है |

    भारतीय संविदा अधिनियम में दी गई परिभाषा,(1872)- भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 2 (d) के अनुसार -- "वचनदाता की वांछा पर वचनग्रहीता या  किसी अन्य व्यक्ति द्वारा किसी बात का किया जाना या करने प्रविरत रहा होना या करना या करने से प्रविरत रहना या करने या करने से प्रविरत रहने का वचन देना, उस वचन के लिए प्रतिफल कहलाता है |"

    सरल शब्दों में यह कहा जा सकता है कि एक व्यक्ति की इच्छा पर किसी व्यक्ति द्वारा कोई कार्य करना या करने से प्रविरत रहना ही उस प्रथम व्यक्ति के लिए प्रतिफल है |

प्रतिफल के लिए आवश्यक तत्त्व 
(Essential elements of Consideration)

1.प्रतिज्ञाकर्ता की इच्छा पर --प्रतिफल के लिए आवश्यक है कि वचनग्रहीता किसी बात को वचनदाता की इच्छा पर करे या करने से प्रविरत रहे या करने या प्रविरत रहने का वचन दे | यदि वचनग्रहीता वचनदाता की इच्छा के बिना अपनी ही स्वेच्छा से अपनी बात कर लेता है या करने से प्रविरत रहता है तो उसे प्रतिफल नहीं कहा जायेगा |

उदाहरण

'' '' से अपनी  एक घड़ी 500 रुपये में क्रय कर लेने की प्रस्थापना करता है | 'ब' 500 रुपये में क्रय कर देने की सम्मति प्रकट कर देता है और तदनुसार क्रय कर लेता है | यहाँ 500 रुपये घडी का प्रतिफल है और 'ब' का क्रय वचनदाता 'अ' की वांछा पर किया गया कार्य  है |

        इस सम्बन्ध में दुर्गा प्रसाद नाम बलदेव , (1880) 3 इलाहाबाद  221 का एक महत्तवपूर्ण मामला है  | इसमें वादी ने जिले के कलेक्टर को खुश करने के लिए  एक बाजार का निर्माण कराया | प्रतिवादियो ने जिन्होंने बाज़ार में  दुकानों को किराये पर ली थी, वादी को यह वचन दिया कि वे बाजार में बिकने वाली चीजों पर उसे कमीशन देंगे |यह अभिनिर्धारित किया गया कि कमीशन देने का वचन संविदा नहीं थी ,क्योंकि ऐसा केवल कलेक्टर को खुश करने के लिए किया गया था | बाजार की दुकाने वचनदाता अर्थात प्रतिवादियों के अनुरोध का परिणाम नहीं थी |

        2. प्रतिज्ञाग्रहीता या अन्य कोई व्यक्ति --प्रतिफल प्रतिज्ञाग्रहीता  या अन्य कोई व्यक्ति द्वारा दिया जा सकता है , इस सम्बन्ध में अंग्रेजी विधि तथा भारतीय विधि में अंतर है | अंग्रेजी विधि में प्रतिफल प्रतिग्रहीता द्वारा ही दिया जाना चाहिए  परन्तु भारतीय विधि में यह आवश्यक नहीं है | वेंकटचिन्नया बनाम वेंकट रमैया, आई ० एल ० आर० (1881) 4 मद्रास 137 के मामले में प्रतिवादी की माँ ने एक लिखित दस्तावेज द्वारा जमींदारी में अपना हिस्सा दान किया  | विलेख (दस्तावेज ) में यह प्रावधान था कि प्रतिवादी अपने भाइयों को 653 रूपये दिया करेगा या उसके बदले में उतनी ही आमदनी का कोई ग्राम देगा | प्रतिवादी ने उक्त धन के प्रतिफल में उसी दिन करार किया जिसके अंतर्गत उसने अपने भाइयों को  उक्त धन देने की प्रतिज्ञा की, परन्तु बाद में पालन नहीं किया | न्यायालय  ने अभिनिर्धारित किया कि प्रतिवादी अपनी प्रतिज्ञा पालन के लिए उत्तरदायी है |

        3. कुछ कार्य किया है या करने से प्रविरत रहा है -अंग्रेजी विधि के अनुसार प्रतिफल 2 प्रकार का होता है --(1) एग्जीक्यूटरी (Executory) (2) एक्जीक्युटेड (Executed) पहले प्रतिफल में प्रतिज्ञा के बदले प्रतिज्ञा होती है  तथा दूसरे में कोई कार्य कोई प्रतिविरति किसी प्रतिज्ञा के बदले में किया जाता है या की जाती है अंग्रेजी विधि में भूतकालिक प्रतिफल विधि की दृष्टि में प्रतिफल नहीं होता है | परन्तु यदि कार्य भूतकाल में प्रतिज्ञाकर्ता की इच्छा पर किया गया हो तो  वह प्रतिफल हो सकता है |

    लेम्पले बनाम ब्रेथवेट, (1615) हाव 105 भारतीय विधि में भूतकालिक प्रतिफल को भी विधि की दृष्टि में प्रतिफल माना जाता है |

        4- करता है या करने से प्रविरत रहता है - इससे स्पष्ट है कि जब प्रतिज्ञाकर्ता की इच्छा पर कोई व्यक्ति कोई कार्य करता है या उससे प्रविरत रहता है , तो वह वैध प्रतिफल होता है |

        5- करने या करने से प्रविरत रहने की प्रतिज्ञा करता है - जब प्रतिज्ञाग्रहीता या कोई अन्य व्यक्ति प्रतिज्ञाकर्ता की इच्छा पर कोई कार्य करने या उससे प्रविरत रहने की प्रतिज्ञा करता है तो वह वैध प्रतिफल कहलाता है | उसे एक्सिक्युटरी (Executory) प्रतिफल कहते हैं |

        6- ऐसा कार्य या प्रविरत या प्रतिज्ञा इस प्रतिज्ञा के लिए प्रतिफल कहलाती है - इसके तहत निम्नलिखित तथ्य उल्लेखनीय है --

1- प्रतिफल वास्तविक होना चाहिए- प्रतिफल वास्तविक होना आवश्यक है | यह मात्र आभासी अर्थात दिखावटी नहीं होना चाहिए | वास्तविक से अभिप्राय है - विधि की दृष्टि में उसका कुछ मूल्य होना चाहिए | किसी व्यक्ति द्वारा वचन के प्रतिफलस्वरूप विवाह की संविदा करना एक मूल्यवान प्रतिफल है | इसी प्रकार किसी तीसरे व्यक्ति की वर्तमान संविदा के अनुपालन का वचन देना किसी अन्य संविदा के लिए एक अच्छा और विधिमान्य प्रतिफल हो सकता है |

2- प्रतिफल वैध होना चाहिए- प्रतिफल का वैध होना भी आवश्यक है | यदि प्रतिफल वैध नहीं होगा तो करार या संविदा शून्य होगी | इसलिए यह आवश्यक है कि प्रतिफल हमेशा विधि की दृष्टि में वैध हो |

3- प्रतिफल पर्याप्त होना आवश्यक नहीं - प्रतिफल पर्याप्त अथवा अपर्याप्त कैसा भी हो सकता है | प्रतिफल की अपर्याप्तता संविदा को प्रभावित नहीं करती है |

उदाहरण

यदि क 1000 रूपये वाले घोड़े को 10 रूपये में बेचने का करार करता है | तो यह करार संविदा है |

लेकिन कुमारी सोनिया भाटिया बनाम स्टेट ऑफ़ उत्तर प्रदेश और अन्य , ए० आई०आर० 1981 एस० सी० 1274 के मामले में उच्चतम न्यायालय ने यह अभिनिर्धारित किया है कि प्रतिफल से अभिप्राय युक्तियुक्त, समतुल्य अथवा अन्य मूल्यवान लाभ से है | जहाँ प्रतिफल के साथ शब्द पर्याय जुडा हो , वहां इसका आशय प्रतिफल को ऐसा बनाना है जो पर्याप्त तथा मूल्यवान हो |


Source: CLA, LLB 3 Year, 1st semester, 1st Paper, Law of Contract.

Dr. Ram Manohar Lohiya Awadh University, Ayodhya (Dr. RMLAU Ayodhya)

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