उत्तर - न्यायाधिपति सुब्बाराव ने गोलकनाथ बनाम स्टेट ऑफ़ पंजाब ने AIR 1967 SC. 1643 के वाद में विचार व्यक्त किया है कि "उद्देशिका किसी अधिनियम के मुख्य आदर्शों एवं आकाक्षाओं का उल्लेख करती है |" उद्देशिका अधिनियम के उद्देश्यों एवं नीतियों को समझने में सहायक होती है |
इन री बेरुवारी यूनियन, AIR 1960 SC 845 के वाद में उच्चतम नयायालय ने अभिनिर्धारित किया कि उद्देशिका संविधान निर्माताओं के विचारों को जानने की कुंजी है । संविधान की रचना के समय निर्माताओं का क्या उद्देश्य था या वे किन उच्चादर्शों की स्थापना भारतीय संविधान में करना चाहते थे, इन सब को जानने का माध्यम उद्देशिका ही होती है ।
अतः उपरोक्त विवेचन से यह स्पष्ट होता है कि उद्देशिका भारतीय संविधान का प्रवेश द्वार है ।
क्या उद्देशिका संशोधित किया जा सकता है ?
केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य AIR 1973 SC 1461 के वाद में उच्चतम न्यायालय ने बहुमत से यह अभिनिर्धारित किया कि उद्देशिका भारतीय संविधान का भाग है । अतः इसमें संशोधन किया जा सकता है ।परंतु न्यायालय ने आधारभूत ढांचे में संशोधन की सीमा भी निर्धारित की । 42वें संविधान संशोधन द्वारा यह स्पष्ट कर दिया गया है कि संसद को उद्देशिका में संशोधन करने की शक्ति है । अर्थात उपरोक्त विवेचन से स्पष्ट होता है कि उद्देशिका को मूल ढांचे की सीमा के अंतर्गत संशोधित किया जा सकता है ।
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