Ticker

6/recent/ticker-posts

प्रश्न- "प्रतिफल के बिना किया गया करार शून्य है" | इस कथन की समीक्षा करते हुए इसके अपवादों को उदहारण सहित समझाइए | (law of contract-1)

         वचन प्रस्थापना, प्रतिग्रहण एवं प्रतिफल से मिलकर बनता है | ऐसा कोई करार विधिमान्य संविदा का रूप धारण नहीं कर सकता जिसमे प्रतिफल का आभाव हो | प्रतिफल संविदा का एक महत्वपूर्ण एवं आवश्यक अंग है | प्रतिफल के बिना किया गया करार शून्य होता है | वस्तुतः किसी संव्यवहार को हम तब तक करार की संज्ञा नहीं दे सकते जब तक कि प्रस्थापना और प्रतिग्रहण के साथ-साथ उसमें प्रतिफल नहीं हो | संविदा अधिनियम की धारा 25 में इसी सम्बन्ध में आवश्यक व्यवस्था की गयी है |    

agreementwithoutconsideration

        यदि कोई करार प्रतिफल के बिना किया जाता है तो वह शून्य होने के साथ-साथ अप्रवर्तनीय भी होता है |

    अवन्ती कोआपरेटिव हाउसिंग सोसायटी बनाम मनोहर (ए० आई० आर० 2012 छत्तीसगढ़ 146 ) के मामले में भी छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय द्वारा यह अभिनिर्धारित किया गया है कि- प्रतिफल के आभाव में किये गए करार शून्य होते हैं | ( Agreement without consideration is void under Section 25 of Contract Act)

उदाहरण - 'क' 'ख' को बिना किसी प्रतिफल के 1000 रूपये देने का वचन देता है | यह करार शून्य है एक मामले में बिना किसी प्रतिफल के निष्पादित बंधक को अकृत मानते हुए अप्रवर्तनीय माना गया है |

अपवाद ( Exceptions) - इस सामान्य नियम के कि 'प्रतिफल के बिना किया गया करार शून्य होता है' के कतिपय अपवाद हैं जो कि भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 25 में दिए गए हैं | निम्नांकित अवस्थाओं में किया गया करार प्रतिफलरहित होने पर भी विधिमान्य होता है और उसका प्रवर्तन किया जा सकता है --

        1- प्राकृतिक प्रेम तथा स्नेह-  धारा 25 (1) ऐसा करार जो -

  1. नैसर्गिक प्रेम और स्नेह के कारन किया गया है ;
  2. लिखित है; तथा 
  3. रजिस्ट्रीकृत है , संविदा है और उसका प्रवर्तन किया जा सकता है , चाहे वह प्रतिफल के बिना ही क्यों न किया गया हो | 
इस प्रकार नैसर्गिक प्रेम और स्नेह के कारण अपने किसी निकट सम्बन्धी को कोई निश्चित धनराशि या संदाय करने का करार एक विधिमान्य संविदा है |

        प्रतिफलरहित ऐसी संविदाओं के लिए एकमात्र आवश्यक शर्त यह है कि दाता एवं अदाता आपस में निकट सम्बन्धी हों तथा उनके बीच नैसर्गिक प्रेम तथा स्नेह हो | भाई-भाई, पति-पत्नी, माता-पिता एवं बच्चों के बीच निकट सम्बन्ध होता है तथा नैसर्गिक प्रेम तथा स्नेह भी होता है |

        राज लखी देवी बनाम भूतनाथ मुखर्जी , (1900) 4 कलकत्ता डब्ल्यू० एन० 488 के मामले में पति ने रजिस्ट्रीकृत करार द्वारा पत्नी को कुछ निश्चित धन गुजारे के लिए देने का वचन दिया | करार में प्रेम एवं स्नेह के स्थान पर झगडे का उल्लेख था | न्यायालय ने अभिनिर्धारित किया कि पक्षकारों के मध्य प्रेम का अभाव है अतः इसे लागू नहीं किया जा सकता है |

        2- स्वेच्छा से किये गए कार्य की क्षतिपूर्ति करने की प्रतिज्ञा - [ धारा 25 (2) ] ऐसे मामलों में भी प्रतिफल की आवश्यकता नहीं होती जिसमें कोई व्यक्ति वचनदाता की जानकारी के बिना या उसकी प्रार्थना के बिना उसके लिए कोई सेवा करता है और वह वचनदाता की प्रतिपूर्ति करने का वचन देता है |

भारतीय संविदा अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार पूर्व- प्रतिफल एक अच्छा प्रतिफल होता है | आवश्यक मात्र यह है कि -

  1. वचनदाता के लिए स्वेच्छया पहले ही कोई कार्य कर लिया गया हो , एवं 
  2. ऐसे कार्य के किये जाने के समय वचनदाता संविदा करने के लिए सक्षम रहा हो |
        3- अवधि बाधित ऋण का संदाय करने की प्रतिज्ञा - [धारा 25 (3) ] ऋणी ऐसे ऋण का जो परिसीमा विधि द्वारा अवधि बाधित हो चूका है या पूर्णतः या भागतः संदाय करने का लिखित करार करता है तो ऐसा करार विधिमान्य होगा | यह सिद्धांत इस नियम पर आधारित है कि अवधि बाधित ऋण एक अच्छा प्रतिफल है क्योंकि उपचार समाप्त हो जाने पर भी ऋण समाप्त नहीं होता है |

        धारा 25 (3) में दिए गए अपवाद हेतु निम्न शर्तों का होना आवश्यक है -

(क) ऋण का भुगतान करने की प्रतिज्ञा लिखित और सम्बंधित व्यक्ति द्वारा हस्तांतरित होनी चाहिए |

(ख) यह प्रतिज्ञा पूर्ण ऋण या उसके किसी अंश की अदायगी के लिए होनी चाहिए , एवं

(ग) प्रतिज्ञा उस ऋण के सम्बन्ध में होनी चाहिए जो परिसीमा अधिनियम द्वारा अवबाधित हो गयी है |

    प्रतिज्ञा का अभिव्यक्त होना आवश्यक नहीं है | (आदीवेल बनाम नारायणचारी, ए० आई० आर० 2005 कर्णाटक 236 )

        4- एजेंसी- संविदा अधिनियम की धारा 185 में एक और अपवाद का उल्लेख किया गया है जिसके अनुसार एजेंसी उत्पन्न करने के लिए किसी भी प्रकार के प्रतिफल की आवश्यकता नहीं होती है |


Source: CLA, LLB 3 Year Programme, 1st Semester, 1st Paper, Law Of Contract

Dr. Ram Manohar Lohiya Awadh University, Ayodhya (Dr. RMLAU Ayodhya)

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ