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सत्यापन व हलफनामे की अनिवार्यता समाप्त

                              नई दिल्ली प्रधानमंत्री भारत सरकार द्वारा विद्यार्थियों एवं युवाओं को एवं जरूरतमंद व्यक्तियों को राजपत्रित अधिकारी एवं नोटरी एवं वेरिफिकेशन का अधिकार समाप्त कर दिया गया है । अब छात्र - छात्राओं एवं युवाओं को हलफनामे की जगह सत्यापित दस्तावेज ही पर्याप्त होगा   केंद्र सरकार की ओर से सभी मंत्रालयों एवं राज्य सरकारों को इस आशय का निर्देश दे दिया गया है कि प्रमाण पत्रों के सत्यापन की समस्या युवाओं के लिए खासकर परेशानी का सबब था । 

किसी संस्थान में दाखिला के लिए राजपत्रित अधिकारियों द्वारा सत्यापित प्रमाण पत्रों की प्रतियां मांगी जाती थी जैसे - नौकरी के लिए भरे जाने वाले आवेदन पत्रों तक हर मामले में सत्यापित दस्तावेजों का जमा करना अनिवार्य था । अब इस समस्या को दूर कर सरकार ने इस नए कानून को तुरंत लागू कर दिया है । इस नए कानून के अनुसार कानूनी रूप से बाध्य न हो लोग अपने दस्तावेजों का सत्यापन खुद करेंगे । और वह मान्य होगा । स्वसत्यापन प्रक्रिया में मिलान के लिए मूल दस्तावेज प्रस्तुत करने होंगे । इसके दुरुपयोग को रोकने के लिए यह प्रावधान है कि कोई फर्जी सत्यापन करेगा तो उस पर भारतीय दण्ड संहिता के अनुसार कठोर कानूनी कार्यवाही होगी । माननीय प्रधानमंत्री भारत सरकार द्वारा आम आदमी को एवं छात्र - छात्राओं को विशेष राहत देने के लिए यह कानून लागू किया गया है ।

   कि अब आम आदमी एवं छात्र छात्राओं को समय खराब न करना पड़े, ये कानून सोच की दिशा में उठाया हुआ एक नया कदम है । माननीय प्रधानमंत्री भारत सरकार द्वारा आदेश तत्कालीन प्रभाव से लागू किया गया । 

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