वह व्यादेश जो प्रतिवादी को कुछ करने का आदेश देता है आदेशात्मक व्यादेश कहलाता है |
सामण्ड (Salmond) महोदय ने आदेशात्मक व्यादेश की परिभाषा ऐसे आदेश के रूप में की है, "जो प्रतिवादी से किसी सकारात्मक कार्य करने की अपेक्षा करते हैं जिसका उद्देश्य किसी दोषपूर्ण स्थिति को समाप्त करना होता है जो विधिक अधिकारों के पालन में उसके (प्रतिवादी के ) द्वारा या अन्यथा उत्पन्न होती है |
उदाहरण के लिए एक भवन को गिराने का आदेश जिसे पहले ही खड़ा कर लिया था और उससे वादी को रौशनी मिलने में बाधा उत्पन्न होती थी |"
आदेशात्मक व्यादेश एक महत्वपूर्ण व्यादेश होता है तथा काफी सोच विचार कर पारित किया जाता है |
आदेशात्मक व्यादेश एक ऐसा व्यादेश है जो यह अपेक्षा करता है कि जो कुछ अपकार किया जा चुका है उसे समाप्त करके पूर्व या यथास्थिति में लाया जाय और आगे के लिए ऐसा करने से रोका जाय | इस प्रकार आदेशात्मक व्यादेश किसी कारण विशेष को करने का आदेश देता है | साथ ही साथ आगे के लिए अपकार नहीं करने का आदेश भी देता है | फिर जहाँ किसी निर्माण कार्य को हटाने के लिए समादेशात्मक व्यादेश जारी किया जाना हो, वहां ऐसा व्यादेश जारी करने के पूर्व ऐसे निर्माण कार्य पर हुए व्यय को ध्यान में रखा जायेगा |
विनिर्दिष्ट अनुतोष अधिनियम, 1963 की धारा के अनुसार निम्न अवस्थाओ में आदेशात्मक व्यादेश वादी को एक अधिकार के रूप में जारी किया जा सकता है --
1.जहाँ प्रतिवादी को किसी कार्य विशेष को करने का विधिक दायित्व है |
2.जहाँ प्रतिवादी के कृत्य ने वादी के अधिकार में हस्तक्षेप या अतिलंघन किया है |
3. जहाँ वादी ने प्रतिवादी को यह सूचित कर दिया है कि उसके अधिकारों का अतिलंघन किया जा रहा है लेकिन फिर भी प्रातिवादी अपना कार्य किये जा रहा है |
4.जहाँ न्यायालय यह निर्धारित करता है कि व्यादेश जारी करना आवश्यक है और कार्य को करवाने में न्यायालय सक्षम है |
सेक्रेट हार्ट हाईस्कूल बनाम प्रेमलता ( ए० आइ० आर० 2012 एन० ओ० सी० 411 हिमाचल प्रदेश ) के मामले में प्रतिवादी द्वारा सार्वजानिक मार्ग पर एक दीवार खड़ी कर दी गयी थी | इससे वादी के अपनी भूमि में आने जाने का मार्ग अवरुद्ध हो गया था | न्यायालय द्वारा दीवार को ध्वस्त करने हेतु आदेशात्मक व्यादेश जारी किया गया |
( When mandatory injunction can be issued )
निम्नलिखित अवस्थाओ में यह व्यादेश जारी नहीं किया जा सकता --
1. जहाँ वादी को पहुचने वाली क्षति के लिए आर्थिक क्षतिपूर्ति समुचित उपाय है |
2.जहाँ असुविधा प्रतिवादी के पक्ष में अधिक है |
3.जहाँ वादी के अधिकारों में बाधा अस्थायी प्रकृति की है जैसे 'अ' मकान का विनिर्माण करवा रहा है और इसी उद्देश्य से 'ब' की भूमि पर पत्थर, कंकर,बजरी आदि डलवाना यह सब अस्थायी प्रकृति का कार्य है |
4.जहाँ वादी प्रतिवादी के कार्य को पूर्ण होते देखता रहता है और व्यादेश की प्राप्ति के लिए न्यायालय के पास नहीं आता है तो इस स्थिति में न्यायालय व्यादेश जारी नहीं करेगा |
Source: CLA,
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