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प्रश्न - व्यादेश अथवा निषेधाज्ञा का स्वरूप क्या है? विभिन्न प्रकार के व्यादेश अथवा निषेधाज्ञाओं का वर्णन कीजिए |

 

व्यादेश अथवा निषेधाज्ञा की परिभाषा

        व्यादेश को निवारक अनुतोष भी कहा जाता है इसके द्वारा किसी व्यक्ति के अधिकारों में अनुचित हस्तक्षेप करने या करने की धमकी देने से किसी अन्य व्यक्ति को रोका जाता है  |



        बर्नी के इंग्लैंड की विधियों के विश्व शब्दकोष के अनुसार व्यादेश एक न्यायिक प्रक्रिया है जिसके द्वारा उस व्यक्ति के, जिसने किसी अन्य व्यक्ति के वैधानिक या साम्यिक अधिकारों पर अतिक्रमण किया हो या अतिक्रमण करने की धमकी दे रहा हो, ऐसे सदोष कार्य को निरंतर बनाये रखने या करने से निषेधित किया जाता है |


        हाल्सबरी के अनुसार- व्यादेश एक न्यायिक प्रक्रिया है जिसके द्वारा किसी पक्ष को किसी विशेष कार्य या वस्तु को करने से विरत रहने या करने का आदेश दिया जाता है |


        व्यादेश एक विशिष्ट प्रकार का न्यायालय आदेश है जिसके द्वारा न्यायालय प्रतिवादी को उस कार्य को, जो अनुचित ढंग से किया गया है, रोकने के लिए या अनुचित कार्य को करने के प्रयास को रोकने के लिए जारी किया जाता है | विनिर्दिष्ट अनुतोष अधिनियम की धारा 36 के अनुसार निवारक उन्मुक्ति वह विनिर्दिष्ट अनुतोष है जिसके द्वारा न्यायालय अपने विवेकाधिकार के अंतर्गत व्यादेश जारी कर प्रतिवादी को उस कार्य को करने से रोकता है जिसे वह वैधानिक रूप से नहीं करने को बाध्य है |


निषेधाज्ञा या व्यादेश की मुख्य विशेषताएं 
(Main characteristics of Injunction )

  1. यह एक मुख्य न्यायिक प्रक्रिया है |
  2. इसका उद्देश्य निवारक या किसी कार्य को करने या करने से रोकने का है |
  3. यह अवैधानिक या अनुचित कार्य को करने से रोकने के लिए जारी की जाती है |

निषेधाज्ञा या व्यादेश का वर्गीकरण 
( Classification of Injunction )
व्यादेश को उनकी प्रकृति के अनुसार दो भागों में बांटा गया है -
        1- निषेधात्मक (Prohibitory),
        2- समाज्ञापक  (Mandatory)
प्रक्रिया के आधार पर भी इन्हें दो भागों में बांटा गया है -

    (1) अस्थायी ( Temporary) तथा,
    (2) शाश्वत ( Perpetual)

        1- निषेधात्मक व्यादेश ( Prohibitory Injunction) - निषेधात्मक व्यादेश प्रतिवादी को किसी कार्य को करने से अवरुद्ध कर नकारात्मक बाध्यता को परिवर्तित करने के लिए एक आदेश है जिसको वह न करने के लिए बाध्य है | ऐसा आदेश भावी दोषपूर्ण कार्य कारित करने की दशा में प्रयोग किया जाता है |

        2- समाज्ञापक व्यादेश ( Mandatory Injunction ) - समाज्ञापक व्यादेश प्रतिवादी को अपकारपूर्ण कार्य करने रहने से रोकने का आदेश है | यह रूकावट या तो किसी कार्य को मिटा देने से होती है या किसी कार्य को करने की आज्ञा देकर होती है ताकि स्थिति पूर्ववत हो जाये |

        (1) अस्थायी व्यादेश - यह व्यादेश ऐसा व्यादेश है जो वाद के निर्णय के समय तक पूर्व स्थिति को यथावत बनाये रखने के लिए वाद की कार्यवाही के प्रारंभ में दिया जाता है | ये आदेश एक नियत समय तक प्रभावशील होते हैं तथा वाद की किसी भी अवस्था में दिए जा सकते हैं |

        (2) शाश्वत या स्थायी व्यादेश - यह व्यादेश वाद की कार्यवाही के अंत में दिया जाता है तथा डिक्री का ही भाग होता है | यह व्यादेश असीमित समय तक अपना प्रभाव रहता है | इसे प्राप्त करने के लिए वादी को अपने पक्ष में अधिकार के अस्तित्व को सिद्ध करना पड़ता है |

व्यादेश कब जारी नहीं होगा 
( When injunction cannot be issued )

निम्नांकित परिस्थितियों में न्यायालय व्यादेश जारी नहीं करेगा -
  1. ऐसे मुक़दमे के, जिसमें व्यादेश चाहा गया है दायर किये जाने के समय लंबित किसी न्यायिक कार्यवाही को रोकने के लिए जारी नहीं किया जायेगा |
  2. किसी व्यक्ति को वाद चलाने या दायर करने से व्यादेश द्वारा रोका नहीं जायेगा |
  3. किसी व्यक्ति को विधायी निकाय (Legislative Body ) से आवेदन करने से रोकने के लिए व्यादेश जारी नहीं किया जायेगा |
  4. किसी व्यक्ति को किसी फौजदारी मामले में कोई कार्यवाही संस्थित करने या चलाने से रोकने के लिए जारी नहीं किया जायेगा |
  5. ऐसी परिस्थितियों में जब आवेदनकर्ता ने इस अनुभव के आधार पर व्यादेश की प्रार्थना की हो कि अमुक वस्तु उपताप (Nuisance) सिद्ध होगी, पर वास्तव में प्रत्याशित वस्तु उपताप सिद्ध होने के योग्य न हो, व्यादेश जारी नहीं किया जायेगा |
  6. किसी संविदा के भंगीकरण को रोकने के लिए जिसका विशिष्ट अनुपालन नहीं कराया जायेगा, व्यादेश जरी नहीं किया जायेगा |
  7. राज्य सरकार, केन्द्रीय सरकार या विदेशी सरकार के वैधानिक कृत्य को करने के लिए या उसी प्रकार का अनुचित हस्तक्षेप करने के लिए व्यादेश जारी नहीं किया जायेगा |
  8. किसी अधीन न्यायालय की कार्यवाही को रोकने के लिए उस न्यायालय को आवेदन पत्र दिए जाने की स्थिति में जिसके अंतर्गत वह अधीन न्यायालय (Subordinate court) का कार्य न करता हो |
  9. व्यादेश को रोकने के लिए व्यादेश जारी नहीं किया जायेगा |
  10. जहाँ कि वादी का मामले में कोई व्यक्तिगत हित नहीं है, व्यादेश जारी नहीं किया जा सकता है |

Source : CLA,

LAW OF CONTRACT - I

THE SPECIFIC RELIEF ACT 1963

DR. RAM MANOHAR LOHIA AWADH UNIVERSITY, AYODHYA

DR. RMLAU, AYODHYA

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