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प्रश्न - संविदा के विनिर्दिष्ट अनुपालन के विरुद्ध कौन कौन से बचाव उपलब्ध हैं? || अथवा || संविदा के विनिर्दिष्ट अनुपालन के लिए किये गए वाद में कौन कौन से प्रतिवाद प्राप्त हैं ?

        विनिर्दिष्ट अनुपालन के दावे के विरुद्ध बचाव 

        वादी के द्वारा की गई विनिर्दिष्ट अनुपालन की कार्यवाही के विरुद्ध प्रतिवादी को निम्नलिखित प्रतिवाद प्राप्त है -- 


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        1.स्वत्व का आभाव या दोष --प्रतिवादी अपने प्रतिवाद पत्र में यह प्रतिवाद ले सकता है कि वादी संविदा के अनुसार संपत्ति में अच्छा स्वत्व नहीं रखता है 

उदाहरण

        'क' के आधिपत्य में कुछ भूमि है जिसे बेचने के लिए वह 'ज' से संविदा करता है | 'क' उस संपत्ति को 'ख' के उत्तराधिकार के रूप में इस आधार पर प्राप्त करता है कि 'ख' को मृत समझा गया था जबकि 'ख' की मृत्यु का पर्याप्त साक्ष्य नहीं है | 'ज' इस बात का प्रतिवाद ले सकता है कि 'क' का स्वत्व उचित नहीं है |

        2.अनुचित लाभ या क्लेश--विनिर्दिष्ट अनुपालन का अनुतोष सामयिक होने के कारण न्यायालय संविदा का विनिर्दिष्ट अनुपालन प्रदान करने से इस आधार पर मना कर सकता है  कि संविदा के अंतर्गत क्लेश अंतर्ग्रस्त है या पक्षकारों में किसी को अनुचित लाभ प्राप्त होता है |

        3.प्रतिफल का अभाव या अपर्याप्तता --प्रतिफल की अपर्याप्तता या आभाव साम्य के  अंतर्गत प्रवर्तनीय नहीं हो सकता है | परन्तु प्रतिफल की मात्र अपर्याप्तता अपने आप में विनिर्दिष्ट अनुपालन की कार्यवाही  में प्रतिवाद नहीं हो सकती है जब तक कि संविदा की तारीख को विद्यमान वस्तुओ के सन्दर्भ में संविदा के लिए प्रतिफल पूर्णतया अपर्याप्तया वादी द्वारा कपट से प्राप्त किये गए अनुचित लाभ का साक्ष्य न बन जाये |

        4.अनिवार्य शर्त का उल्लंघन --यदि वादी संविदा की आवश्यक शर्त का पालन करने में असमर्थ या असफल हो जाता है या उसका उल्लघन करता है जो वह संविदा का विनिर्दिष्ट अनुपालन नहीं करा सकता है |

उदाहरण

        'क' 'ख' को एक माकन बेचने तथा विक्रय की तारिख से निश्चित वार्षिक किराये पर उसको 14 वर्ष तक के लिए किरायेदार बनाने की संविदा करता है, 'क' दिवालिया हो जाता है तो उसका अनुपालन नहीं करा सकता है |

        5.विलम्ब या अतिविलम्ब --यदि समय संविदा का सार है तो संविदा का विनिर्दिष्ट अनुपालन उस समय के भीतर ही किया जाना चाहिए | यदि समय का सार नहीं है तो वादी द्वारा किये गए अयुक्तियुक्त विलम्ब को प्रतिवादी प्रतिवाद के रूप में ले सकता है | न्यायालय द्वारा इस विवेकाधिकार का प्रयोग परिस्थतियो के आधार पर किया जा जाता है | 


Source: CLA.

LAW OF CONTRACT-I (THE SPECIFIC RELIEF ACT 1963 )

Dr. Ram Manohar Lohiya Awadh University Ayodhya 

Dr. RMLAU Ayodhya

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