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प्रश्न - भारतीय संविदा अधिनियम के अंतर्गत प्रतिफल और करार को परिभाषित कीजिये -- (लॉ ऑफ़ कॉन्ट्रैक्ट -I)

 प्रतिफल (Consideration)

             संविदा निर्माण के लिए प्रतिफल का होना अत्यंत आवश्यक है | प्रतिफल को भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 2 (d) में परिभाषित किया गया है | जिसके अनुसार - "जब एक प्रतिज्ञाकर्ता की इच्छा पर प्रतिज्ञाग्रहीता या अन्य व्यक्ति ने कोई  कार्य किया है या करने से प्रतिविरत रहा है या करता है , या करने से प्रतिविरत रहता है , या करने की या प्रतिविरत रहने की प्रतिज्ञा करता है तब ऐसा कार्य या प्रतिविरत या प्रतिज्ञा , उस प्रतिज्ञा के लिए प्रतिफल कहलाती है |


उदाहरण 

'अ' 'ब' से एक घडी 500 रूपये में क्रय कर लेने का प्रस्ताव करता है | 'ब' 500 रूपये में इसको खरीदने की अपनी स्वीकृति देता है | यहाँ 500 रूपये 'अ' के लिए घडी का प्रतिफल है | 


प्रतिफल की परिभाषा से निम्नलिखित तत्व निकलते हैं -

  1. प्रतिज्ञाकर्ता की इच्छा पर,
  2. प्रतिज्ञाग्रहीता या अन्य कोई व्यक्ति,
  3. कोई कार्य किया या उससे प्रतिविरत रहा, 
  4. या करता है या प्रतिविरत रहता है ,
  5. या करने या प्रतिविरत रहने की प्रतिज्ञा करता है ,
  6. तब ऐसा कार्य या प्रतिविरति या प्रतिज्ञा या प्रतिज्ञा के लिए प्रतिफल कहलाता है |
इसके आलावा प्रतिफल के लिए निम्नलिखित बातों का होना आवश्यक है --
  1. प्रतिफल का वचनदाता के लिए लाभकारी होना आवश्यक नहीं है |
  2. प्रतिफल का वास्तविक होना आवश्यक है |
  3. प्रतिफल का वैध होना आवश्यक है |
  4. प्रतिफल पर्याप्त या अपर्याप्त भी हो सकता है |
  5. प्रतिफल भूतकालिक , वर्तमान तथा भावी हो सकता है |
मूल ऋणी द्वारा अभिप्राप्त लाभ के लिए प्रतिभू द्वारा प्रस्थापित सांपार्श्विक प्रतिभूति पर्याप्त प्रतिफल है |

(श्रीमती प्रकाशवती जैन बनाम पंजाब स्टेट इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कारपोरेशन , एoआईoआरo 2012 पंजाब
 एंड हरियाणा 13)






करार (Agreement)
         करार भी संविदा का महत्वपूर्ण भाग होता है अर्थात संविदा के लिए करार का होना आवश्यक है | इसे अधिनियम की धारा 2 (e) में परिभाषित किया गया है | " हर एक वचन और ऐसे वचनों का हर एक संवर्ग जो एक दूसरे के लिए प्रतिफल हो, करार कहलाता है |"

            इस प्रकार स्पष्ट है कि करार के लिए दो बातें आवश्यक हैं -
1- वचन तथा  , 2- प्रतिफल | वचन , प्रस्ताव तथा स्वीकृति से मिलकर बनता है |

इस प्रकार --

प्रस्ताव + स्वीकृति + प्रतिफल = करार

परिभाषा से स्पष्ट है कि मात्र वचन करार नहीं हो सकता है | उसके लिए प्रतिफल का होना आवश्यक है | करार के लिए यह भी आवश्यक है कि पक्षकारों के मध्य विधिक दायित्व उत्पन्न होता हो | सैविनी ने कहा है, " दो या अधिक व्यक्तियों के मध्य विधिक संबंधों को प्रभावी बनाने की समान आशय की अभिव्यक्ति ही करार है |"


LLB 3 Year Programme, 1st Sem. 1st Paper , Law of Contract, Dr. RMLAU Ayodhya

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