उत्तर-
संविदा (Contract)
धारा 2 (h) के अनुसार- विधि द्वारा प्रवर्तनीय प्रत्येक करार संविदा कहलाती है परिभाषा से यह स्पष्ट होता है कि किसी करार का होना तथा ऐसे करार का विधितः प्रवर्तनीय होना संविदा सृजन के लिए अति आवश्यक है |
कोई करार विधि द्वारा प्रवर्तनीय है यदि-
- वह सक्षम पक्षकारों के मध्य हो |
- पक्षकारों की स्वतन्त्र सहमती रही हो |
- उसका उद्देश्य एवं प्रतिफल विधिपूर्ण हो
- वह शून्य घोषित न किया गया हो |
- कुछ अपवादों को छोड़कर लिखित तथा रजिस्ट्रीकृत होना चाहिए |
उक्त परिभाषा स्पष्ट करती है कि शब्द 'करार' संविदा से अधिक विस्तृत है | संविदा के लिए यह आवश्यक है कि करार विधि द्वारा प्रवर्तनीय हो |
सुखविंदर कौर बनाम अमरजीत सिंह (ए आई आर 2012 पंजाब एंड हरियाणा 97 ) के मामले में अभिनिर्धारित किया गया है कि अपंजीकृत विक्रय के करार से संपत्ति में हित अथवा स्वत्व का सृजन नहीं होता | विक्रय विलेख द्वारा निष्पादित संविदा से ही ऐसा हित एवं स्वत्व सृजित हो सकता है |
अवैध संविदा (Illegal Contract)
जब किसी संविदा का उद्देश्य या प्रतिफल विधि विरुद्ध होता है तब उसे अवैध संविदा कहते हैं | किसी संविदा का उद्देश्य या प्रतिफल निम्नलिखित परिस्थितियों में अवैध होता है --
- जबकि वह विधि द्वारा निषिद्ध हो
- जबकि उसकी प्रकृति ऐसी हो जो किसी विधि के उपबंधों को विफल करता हो |
- कपटपूर्ण हो |
- जो किसी अन्य व्यक्ति के शरीर या संपत्ति को क्षतिकारित करता हो |
- जबकि वह न्यायालय द्वारा अनैतिक या लोकनीति के विरुद्ध घोषित किया गया हो |
इस प्रकार यदि किसी संविदा का उद्देश्य या प्रतिफल उपरोक्तानुसार है तो वह अवैध संविदा कहलाती है |
0 टिप्पणियाँ