प्रस्ताव की परिभाषा
संविदा अधिनियम की धारा 2 (a) के अनुसार -- "जबकि एक व्यक्ति किसी बात को करने या करने से प्रविरत (Abstain) रहने की अपनी रजामंदी किसी अन्य व्यक्ति को इस दृष्टि से देता है कि ऐसे कार्य या प्रविरत के प्रति इस अन्य की अनुमति अभिप्राप्त करे तब वह प्रस्थापना करता है इसे प्रस्ताव कहा जाता है |
प्रस्तावना में एक व्यक्ति किसी बात को करने या प्रविरत रहने की अपनी रजामंदी किसी अन्य व्यक्ति को इस दृष्टि से संज्ञापित करता है कि ऐसे कार्य प्रविरत के प्रति वह अपनी अनुमति प्रदान करे |
इस प्रकार प्रस्थापना में -
- एक व्यक्ति जिसे प्रस्तावकर्ता कहा जाता है किसी अन्य व्यक्ति को अपनी इच्छा या रजामंदी प्रकट करता है |
- ऐसी रजामंदी किसी बात को करने या न करने से प्रविरत रहने के लिए होती है |
- ऐसी रजामंदी प्राप्त करने का उद्देश्य किसी अन्य व्यक्ति की अनुमति प्राप्त करने का होता है |
- प्रत्येक प्रस्ताव संसूचित किया जाना चाहिए |
- प्रस्ताव विधिक सम्बन्ध स्थापित करने के इरादे से किया जाना चाहिए |
- प्रस्ताव निश्चित हिना चाहिए |
0 टिप्पणियाँ