कपट
( Fraud )
परिभाषा - स्वतन्त्र सम्मति को दूषित करने वाला तीसरा तत्व कपट है | हम इसकी सीधी -साधी परिभाषा इस प्रकार दे सकते है |-
''किसी व्यक्ति को प्रवंचना (deceive ) कारित करने के आशय से ,किसी सत्य बात को छिपाते हुए, उससे अनुचित फायदा अभिप्राय करना ही कपट है |"
"डेरी बनाम पीक" [(1887 )34 सी० एच ० डी०541] के मामले में न्यायमूर्ति हेनेल ने कपट की परिभाषा देते हुए कहा है - ''जब कोई व्यक्ति किसी बात के सत्य होने का कथन करता है, जिसके सत्य होने के बारे में उसका विश्वास नही है या ऐसा विश्वास करे कि उसके पास कोई युक्तियुक्त आधार नही है और ऐसे कथन से उत्प्रेरित होकर कोई अन्य व्यक्ति ऐसा कोई कार्य कर लेता है जिससे उसे क्षति कारित होती है तो वह क्षतिग्रस्त व्यक्ति प्रवंचना के लिए वाद लेन का हकदार हो जाता है |"
भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 17 में भी ऐसी ही परिभाषा दी गई है |
इसके अनुसार -
- किसी एक व्यक्ति द्वारा दूसरे व्यक्ति को;
- प्रवंचना कारित करने अथवा उसे संविदा करने के लिए उत्प्रेरित करने के आशय से ;
- ऐसी किसी बात के सत्य होने का कथन किया जाना ;
- जो सत्य नही है या जिसके सत्य होने का उसे विशवास नही है ;या
- किसी तथ्य का का सक्रीय रूप से छिपाया जाना ;या
- पालन करने के आशय के बिना कोई वचन दिया जाना;या
- प्रवंचना -योग्य अन्य कोई कार्य किया जाना; या
- विधित; घोषित कपटपूर्ण किसी कार्य या किया या लोप का किया जाना ;
- 'कपट' है
उदाहरण
'क' अपनी एक भूमि का विक्रय 'ग' को करता है | 'क ' इस तथ्य को छिपाते हुए उस भूमि का विक्रय करने की एक संविदा 'ख' के साथ कर लेता है | सक्रिय छिपाव के कारण यह कपट है |
कपट के आवश्यक तत्व
(Essential elements of Fraud)
कपट की उपर्युक्त परिभाषा से इसके निम्नांकित आवश्यक तत्व स्पष्ट होते है -
1- प्रवंचना करने अथवा संविदा करने के लिए उत्प्रेरित करने का आशय - कपट का प्रथम आवश्यक एवं महत्वपूर्ण तत्व है - प्रवंचना अर्थात धोखा देने का आशय | ऐसे आशय के अभाव में कोई कार्य अथवा निरूपण कपट की परिभाषा में नहीं आता |
2- तथ्यों का मिथ्या व्यपदेशन - तथ्यों का मिथ्या व्यपदेशन कपट का दूसरा तत्व है | ऐसे तथ्य का निरूपण -
1- जो सत्य नहीं है; या
2- जिसके सत्य होने का विश्वास करने का कोई युक्तियुक्त आधार नहीं है, मिथ्या व्यपदेशन कहलाता है |
उदाहरण
यदि बीमा पालिसी को प्राप्त करने अथवा प्रतिभूति करने के लिए बीमाकृत व्यक्ति जान-बूझकर किन्ही प्रश्नों का असत्य उत्तर देता है तो वह कपट करता है |
इस प्रकार कपट के गठन के लिए यह आवश्यक है कि कथन करने वाला व्यक्ति उस कथन के मिथ्या होने की जानकारी रखता हो अथवा उसके बारे में सचेत हो |
3- किसी तथ्य का सक्रीय छिपाव - किसी तथ्य को जान बूझकर अथवा विचारपूर्वक छिपाया जाना भी कपट का एक तत्व है | लेकिन किसी विद्यमान तथ्य को प्रकट करने में लोप करना मात्र कपट के आधार पर कार्यवाही करने का आधार नहीं हो सकता |
4- पालन के आशय के बिना दिया गया कोई वचन - ऐसा कोई वचन जिसका पालन करने का वाचंदाता का आशय नहीं हो, कपट होता है | लेकिन इसके लिए वचनग्रहीता को यह साबित करना होता है कि संविदा करने के समय ही समय ही वचन दाता का आशय वचन का पालन करने का नहीं था |
जहाँ कोई पुरुष किसी स्त्री से इस आशय से विवाह करता है कि वह उसका वास्तविक विवाह नहीं होगा; वहां यह अभिनिर्धारित किया गया है कि उस स्त्री की संपत्ति कपट से अभिप्राप्त की गयी थी |
5- प्रवंचना योग्य अन्य कोई कार्य - प्रवंचना कारित करने के आशय से किया गया कोई अन्य कार्य भी कपट हो सकता है |
उदाहरण -
एक व्यक्ति अपने आपको कोई अन्य व्यक्ति होने का मिथ्या प्रतिरूपण करते हुए किसी दूसरे व्यक्ति को कोई संविदा करने के लिए उत्प्रेरित करता है | वह कपट का दोषी है |
महत्वपूर्ण वाद
(Important cases)
1- विमला बाई बनाम शंकर लाल, AIR 1959 मध्य प्रदेश 8 का मामला - इसमें वर के पिता ने वर को,जो वस्तुतः उसका जारज पुत्र था,अपना पुत्र होना निरुपित किया |यह अभिनिर्धारित किया गया की वह कपट का दोषी था |
2- स्मिथ बनाम ह्यूज एल० आर० 6 क्यू०बी०605 का मामला - इसमें यह अभिनिर्धारित किया गया है कि जहाँ विक्रेता पर विक्रय सम्बन्धी प्रत्येक बात को प्रकट करने का विधिक दायित्व हो, वहां उसका मौन रहना कपट मन जायेगा |
उपेक्षा कपट नहीं है परन्तु यह कपट का साक्ष्य हो सकती है |
राम प्रीति यादव बनाम यूपी बोर्ड ऑफ़ हाई स्कूल एंड इंटरमीडियट एजुकेशन , AIR 2003 AC 4268 ,
भाऊराम डागदू परालकर बनाम महाराष्ट्र राज्य , AIR 2005 SC 3330 |
Source:- CLA, LLB. 3 Year Programme, 1st Semester, 1st Paper
LAW OF CONTRACT- I
Dr. Ram Manohar Lohiya Awadh University Ayodhya ( Dr. RMLAU Ayodhya )
0 टिप्पणियाँ