Ticker

6/recent/ticker-posts

प्रश्न- "कोई भी अपराध कार्य नहीं है जो किसी आपराधिक आशय या ज्ञान के बिना क़ानूनी ढंग और कानून के अनुसार, पूर्ण सावधानी द्वारा किए जाने पर भी किसी दुर्घटना या दुर्भाग्य के अकारण हो जाये " -- इस कथन की समीक्षा कीजिए |

 उत्तर- दुर्घटना अथवा दुर्भाग्य से कोई आपराधिक कार्य घटित होने पर अपराधकर्ता के उत्तरदायित्व से सम्बंधित नियमों को संहिता की धारा 80 के अधीन उल्लेखित किया गया है | धारा  80 के  अनुसार , यदि कोई कार्य दुर्घटना अथवा दुर्भाग्यवश कारित हो जाता है तो कार्य करने वाले व्यक्ति को उस कार्य के परिणाम के लिए उत्तरदायी नहीं माना जाता है |

धारा 80 यह उपबंधित करती है कि ऐसा कोई कार्य अपराध नहीं है जो  किसी कार्य को विधि रूप से करते समय कोई दुर्घटना या दुर्भाग्य से कारित हो जाये, परन्तु इसके लिए आवश्यक शर्तें निम्नांकित है --

  1. कोई बात दुर्घटना या दुर्भाग्य से की जाय |
  2. आपराधिक आशय या ज्ञान के बिना किया गया हो |
  3. कार्य विधिपूर्ण होना चाहिए |
  4. साधनों द्वारा किया गया वह साधन विधिपूर्ण होने चाहिए |
  5. उचित सावधानी एवं सतर्कता से किया गया है |
इस धारा में प्रयुक्त दुर्भाग्य एवं दुर्घटना दोनों ही शब्द , दूसरों की क्षति के अर्थ से युक्त हैं | दोनों के बीच अन्तर केवल इस तथ्य का है कि दुर्घटना का तात्पर्य केवल दूसरों के क्षति से है जबकि दुर्भाग्य का तात्पर्य स्वयं उसके कर्ता और ऐसे अन्य व्यक्तियों की क्षति से है , जो कार्य से पूर्णतः  असंबद्ध है |
       उदाहरण  के  लिए ---  'A' कुल्हाड़ी  से  काम कर रहा है , कुल्हाड़ी का फल कुल्हाड़ी से निकल कर उछल जाता है और पास खड़े हुए आदमी को मृत्यु कारित करता  है | यहाँ यदि 'A ' ने कार्य करते समय उचित सतर्कता और सावधानी का प्रयोग किया था तब उसका कार्य संहिता की धारा 80  के अधीन साधारण अपवाद के अन्तर्गत माना जायेगा |
        इससे संबधित महत्वपूर्ण मामला  चतुरनाथ  का मामला  1919 (Bom.) L.R. 110 है | इस मामले में अभियुक्त तथा परिवादी में एक रात झगडा हो गया | अभियुक्त ने एक छड़ी से परिवादी के सिर पर निशाना बनाना चाहा | अभियुक्त के वार से पति को बचाने के आशय से पत्नी ने उन् दोनों के बीच हस्तछेप किया | इस समय पत्नी अपने अल्पवयस्क शिशु को गोद में लिए हुए थी | पत्नी के हस्तछेप के परिणामस्वरूप  अभियुक्त का निशाना चूक गया और निशाना अपने निर्धारित लक्ष्य पर ना लगकर पत्नी के गोद के शिशु को लगा | शिशु इस चोट के परिणामस्वरूप कुछ दिनों पश्चात मर गया | अभियुक्त ने अपने बचाव में धारा 80  का अभिवाक किया | न्यायालय ने इसे यह कहते हुए अमान्य कर दिया कि यह सत्य है कि जो कुछ हुआ  वह दुर्घटना  या दुर्भाग्यवश  ही हुआ है , परन्तु जो कुछ कार्य अभियुक्त कर रहा था वह विधिपूर्ण नहीं था अतः उसे इस धारा के अधीन पूर्ण उन्मुक्ति प्रदान नहीं की जा सकती है | अतः अभियुक्त को न्यायालय ने साधारण चोट कारित करने के लिए अभियुक्त को दोषी माना ना कि हत्या के लिए , क्योंकि अभियुक्त का आशय केवल परिवादी को चोट पहुँचाना था और यदि वार अपने लक्ष्य पर ही लगता तो उससे आशय के विपरीत परिवादी को हानि नहीं होती |
        इसी प्रकार , राजाराम बनाम उत्तर प्रदेश राज्य , 1977 Cr.L.J. (N.O.C.) 85 (इलाहाबाद ) किसी व्यक्ति ने अभियुक्त पर आक्रमण कर दिया | अभियुक्त ने स्वयं को बचाने  के लिए आक्रमणकारी पर गोली चला दी जिससे आक्रमणकारी तो बच गया पर अन्य को गोली लगी जिससे बाद  में उसकी मृत्यु हो गई | अभियुक्त को उसकी प्राइवेट प्रतिरक्षा के अधिकार के साथ ही इस धारा का भी साथ मिला | 
        परमेश्वर बसुमातरी  बनाम राज्य ,   1989 Cr.L.J. 196 (गौहाटी ) के मामले में दो भाई एक 'दावो 'को अपने पास रख कर सो रहा था | उनमें से एक ने अर्ध निद्रा की अवस्था में यह महसूस किया कि कोई उसका गला दबा रहा था | उसने पास के 'दावों' को उठाकर उससे गला दबाने वाले पर वार  किया जो सोते हुए भाई पर पड़ा जिससे उसकी मृत्यु हो गई | अभियुक्त को अपने कार्य से इतना क्षोभ हुआ कि उसने आत्महत्या करने का विचार भी किया  | गौहाटी उच्च न्यायालय द्वारा यह अवधारित किया गया कि वह धारा 80  के  अन्तर्गत दोषमुक्त होगा |
        भूपेंद्र सिंह ए .चुडासामा बनाम गुजरात राज्य  , 1998 Cr.L.J. 57 S.C. के मामले में अभियुक्त कांस्टेबल ने ,जिसने एक हैड कांस्टेबल की मृत्यु कारित कर दी थी , यह तर्क दिया कि मृतक की मृत्यु अभियुक्त के द्वारा अपने कर्तव्य पालन करने के दौरान हुई थी |यह बात सिद्ध हो गई कि अभियुक्त ने मृतक की पहचान बिना  जाने ही बहुत निकट  से उस पर  गोली चलाई थी | उच्चतम न्यायालय द्वारा अवधारित किया गया कि मामले के तथ्यों से यह स्पष्ट है कि यह कार्य बिना किसी सतर्कता एवं सावधानी के किया गया था तथा अभियुक्त को धारा 80 का लाभ नहीं दिया जा सकता है |

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ