वर्तमान समय में मानवाधिकारों का हनन तेजी से बढ़ रहा है । मानवाधिकारों का हनन करने में पुलिस सबसे ज्यादा आगे है वह आज नागरिकों को जहां सरेआम बेइज्जत करने से नहीं चूकती, वही किसी-किसी मामले में जो उसके अधिकार क्षेत्र में भी नहीं है वहां भी किसी के प्रभाव में आकर अनुचित हस्तक्षेप करने से नहीं चूकती है । पुलिस अपनी मनमानी के चलते किन्ही मामलों में ना तो अपने वरिष्ठ अधिकारियों के आदेशों का पालन करती है वरन मानवाधिकारों के संरक्षण अधिनियम तथा न्यायालयों के आदेशों को भी ताक पर रखकर पुलिस लोगों को अवैध हिरासत में रहती है, उनका उत्पीड़न करती है, इसका प्रमुख कारण है कि आम लोगों को ना तो कानूनी जानकारी है ना ही वे अपने अधिकारों से परिचित हैं । आम नागरिक की रुचि भी कानून की जानकारी रखने तथा अपने अधिकारों से परिचित होने में नहीं है ।
मानवाधिकारों की रक्षा के लिए मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 भारतवर्ष में 28 सितंबर 1993 से प्रभावी किया गया है इस अधिनियम के अंतर्गत राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग राज्य मानवाधिकार आयोग व मानवाधिकार न्यायालयों के गठन की व्यवस्था क्रमशः इस अधिनियम की धारा 3, 21 व 30 में की गई है लेकिन इस संदर्भ में जन सामान्य को जानकारी दिए जाने का व्यापक प्रचार करने का कर्तव्य केंद्रीय व राज्य सरकारों का था जो उन्होंने पूरा नहीं किया है। इस कारण सामान्य जनता को इस संदर्भ में बहुत कम जानकारी है अधिवक्ताओं के मध्य भी बहुत अधिक जानकारियां इस संदर्भ में नहीं है । इस अधिनियम का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत है अधिनियम का उद्देश्य मानवाधकारों का संरक्षण व इससे संबंधित अनुशासनिक मामलों के संबंध में प्रावधान करना है मानवाधिकारों का अर्थ मानव जीवन, स्वाधीनता, समानता और सम्मान, मर्यादा जो संविधान में सुरक्षित रखी गई है । यह अंतरराष्ट्रीय समझौते में है और भारतीय न्यायालयों द्वारा प्रवर्तनीय है ।
डॉक्टरों द्वारा घायल की तत्काल सहायता देना मानवाधिकार के अंतर्गत है ऐसा ना करने वाले निश्चित रूप से अपराध करते हैं इस प्रकार पुलिस द्वारा गिरफ्तार व्यक्ति को बाजारों में हथकड़ी लगाकर घुमाना भी मानवाधिकारों का हनन है । मानवाधिकार की परिधि सीमा बहुत ही विस्तृत है । व्यक्तियों के लिए जो भी अधिकार सुरक्षित किए गए हैं वह सभी मानवाधिकारों के अंतर्गत माने जाते हैं संपूर्ण देश के लिए एक राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का गठन किया गया है ।
मानवाधिकार
भारतीय संविधान में प्रदत्त मानवाधिकार अनुच्छेद :
अनुच्छेद 15 :- धर्म मूल वंश जाति लिंग वर्धक जन्म स्थान के आधार पर विभिन्न पर प्रतिबंध ।
अनुच्छेद 16 :- लोक नियोजन के विषय के अवसर की सहायता ।
अनुच्छेद 17:- अस्पृश्यता का अन्त ।
अनुच्छेद 18 :- उपाधियों का अन्त ।
अनुच्छेद 19:- स्वतंत्रता का अधिकार ।
अनुच्छेद 20 :- अपराधों के लिए दोष सिद्धि के विरुद्ध अधिकार ।
अनुच्छेद 21:- प्राण एवं दैनिक स्वतंत्रता का अधिकार ।
अनुच्छेद 22:- गिरफ्तारी एवं निरोध से संरक्षण का अधिकार ।
अनुच्छेद 23:- संवैधानिक उपचारों का अधिकार ।
पुलिस अभिरक्षा के दौरान संरक्षण :
(माननीय उच्चतम न्यायालय के निर्देशानुसार)
1- थाने में जो भी पीड़ित आए उसकी रिपोर्ट अवश्य लिखी जाएगी और उचित धाराओं के अंतर्गत मुकदमा पंजीकृत किया जाएगा । तथा प्रथम सूचना की कॉपी निशुल्क उपलब्ध कराई जाएगी।
2- थाने पर लाए गए व्यक्ति के साथ मारपीट अथवा अमानवीय व्यवहार नही किया जाएगा ।
3- यदि किसी व्यक्ति को थाने पर साक्ष्य हेतु बुलाया जाता है तो उसे उचित यात्रा व्यय दिया जाएगा ।
4 - गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को गिरफ्तारी का कारण बताया जाएगा तथा अपनी रूचि के विधि व्यवसाय से परामर्श करने और प्रतिरक्षा के अधिकार से वंचित नहीं रखा जाएगा ।
5 - गिरफ्तार व्यक्ति को 14 घंटे के अंदर सक्षम न्यायालय में पेश किया जाएगा ।
6- गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को जब थाने में रखा जाएगा तो उसे नियमानुसार भोजन आदि की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी ।
7- थाने में रोके गए व्यक्ति को न्यायालय में पेश करते समय अथवा एक कारागार से दूसरे कारागार में स्थानांतरण पर ले जाते समय हथकड़ी नहीं लगाई जाएगी जब तक कि संबंधित न्यायालय से हथकड़ी लगाए जाने का आदेश प्राप्त ना कर लिया गया हो ।
8- पुलिस रिमांड में लिए गए व्यक्ति का प्रत्येक 48 घंटे में चिकित्सा परीक्षण अवश्य कराया जाएगा ।
9- गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को गिरफ्तारी के दौरान हल्की या गहरी चोट आने की स्थिति में चिकित्सा परीक्षण कराया जाएगा और गिरफ्तार व्यक्ति को अपने परिचित को स्थानीय टेलीफोन की सुविधा से अथवा लिखित पत्र द्वारा गिरफ्तारी की सूचना देने की सुविधा दी जाएगी यदि किसी व्यक्ति ने ऐसा अपराध किया है जो जमानतीय है तो थाने पर ही उसकी जमानत यदि कोई विशेष कारण ना हो तो ले ली जाएगी ।
10- यदि पुलिस कस्टडी में किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो उसकी सूचना तत्काल राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को भी प्रेषित की जाएगी ।
11- यदि किसी अपराधी से कोई चीज या वस्तु की बरामदगी की जाती है तो उसकी रसीद अवश्य दी जाएगी तथा कुर्क किए गए माल की उचित सुरक्षा भी की जायेगी ।
12- किस पुलिसकर्मियों द्वारा किसी व्यक्ति से पूछताछ करते समय अपनी वर्दी पर नेम प्लेट लगाना आवश्यक होगा ।
13- किसी भी महिला को थाने पर अकारण नहीं रोका जाएगा ।
14- थाने पर पूछताछ के दौरान आने वाली समस्त महिलाओं से अश्लील अभद्र भाषा का प्रयोग नहीं किया जाएगा और बलात्कार के साक्ष्य में उच्च कोटि की संवेदनशीलता व सद्भावना का परिचय दिया जाएगा और जहां तक संभव हो उसकी रिपोर्ट महिला पुलिस द्वारा लिखी जाएगी यदि ऐसा संभव ना हो तो कम से कम महिला गार्ड की उपस्थिति अवश्य सुनिश्चित की जाएगी ।
15- बलात्कार से पीड़ित महिला का बयान उसके किसी नजदीकी रिश्तेदार की उपस्थिति में लिया जाए एवं उचित चिकित्सीय परीक्षण के लिए ले जाते समय भी उसके किसी पुरुष रिश्तेदार की उपस्थिति अवश्य सुनिश्चित की जाए यदि संभव ना हो तो महिला पुलिसकर्मी के साथ भेजा जाए ।
16- शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्तियों का संरक्षण अवश्य सुनिश्चित किया जाए ।
17- श्रमिकों की समस्याओं विशेषकर उनकी महिलाओं को संवेदनशीलता के साथ सुना जाए और उनका निराकरण किया जाए।
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