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प्रश्न -- भाषण एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के महत्त्व की विवेचना कीजिए | क्या संविधान उस पर प्रतिबन्ध लगाने की अनुमति देता है ? यदि हाँ, तो किन आधारों पर व किस सीमा तक ?

 भाषण एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता 

(Freedom of Speech and Expression )

        अर्थ एवं विस्तार --वाक् और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अर्थ है,शब्दों, लेखों, मुद्रनो,चिन्हों या किसी अन्य प्रकार से अपना विचार व्यक्त करना | अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में किसी व्यक्ति के विचारों को किसी ऐसे माध्यम से सम्मिलित करना है, जिससे वह दूसरो तक उन्हें संप्रेषित कर सके | इस प्रकार इनमे संकेतों, अंको, चिन्हों तथा ऐसे ही अन्त्य क्रियाओ द्वारा किसी व्यक्ति के विचारो की अभिव्यक्ति सम्मिलित है | अनु० 19 में प्रयुक्त 'अभिव्यक्ति  ' शब्द इसके क्षेत्र को बहुत विस्तृत कर देता है | विचारो को व्यक्तकरने के जितने भी माध्यम  हैं वे ' अभिव्यक्ति ' पदावली के अंतर्गत आ जाते है |

freedom


        भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता लोकतन्त्रीय शासन प्रणाली की आधार-शिला है | क्योंकि इस स्वतंत्रता के द्वारा ही जनता की तार्किक और आलोचनात्मक शक्ति का विकास हो सकता है और जनता की इस शक्ति की विकास से ही लोकतंत्रीय सरकार को सुचारू रूप से चलाने में सहायता मिलती है | 

        इंडियन एक्स्प्रेस न्यूज़ पेपर्स बनाम भारत संघ [(1985) SCC 641 ] के मामले में उच्चतम न्यायालय ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता चार विशेश्स उद्देश्यों की पूर्ती करती है --

        1. वह व्यक्ति की आत्मोन्नति में सहायक है |

        2. सत्य की खोज में सहायक है | 

        3. व्यक्ति के निर्णय लेने की क्षमता को ,मजबूत करता है |

        4. यह स्थिरता तथा सामाजिक परिवर्तन में युक्तियुक्त सामंजस्य स्थापित कार्नर मर सहायक होती है |

        रमेश थापर बनाम मद्रास राज्य  (AIR 1950 SC124) के मामले में उच्चतम न्यायालय ने अभिनिर्धारित किया कि भाषण  और अभिव्यक्ति  स्वतंत्रता में विचारो के प्रचार व प्रसार  की स्वतंत्रता शामिल है | भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की स्वतंत्रता केवल अपने ही विचारो के प्रसार की स्वतंत्रता तक सीमित नहीं है, इसमें दूसरो के विचारो के प्रसार एवं प्रकाशन  की स्वतन्त्रता भी शामिल है, जो प्रेस की स्वतंत्रता द्वारा ही संभव है | 

        सकाल पेपर्स लिमिटेड बनाम भरत संघ (AIR 1962 SC 305) के मामले में उच्चतम न्यायालय ने कहा कि भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में प्रेस की स्वतंत्रता भी शामिल है, क्योंकि समाचार- पत्र विचारो की अभिव्यक्ति करने का एम् माध्यम मात्र ही है |

        सेक्रेटरी मिनिस्ट्री आफ इन्फॉर्मेशन एंड ब्राडकास्टिंग बनाम क्रिकेट एसोशियेशनआफ वेस्ट बंगाल, [(1995 ) 2 SCC 161]  के वाद में उच्चतम न्यायालय ने निर्धारित किया कि क्रिकेट के खेल का दूरदर्शन एवं रेडियो पर प्रसारण अभिव्यक्ति का एक माध्यम है तथा यह अनु० 19 (1) (a) में सम्मिलित है | भाषण और अभिव्यक्ति की स्वाधीनता के अंतर्गत संसूचना प्राप्त करना और उसका प्रसारण करना भी शामिल है, इसकी कोपी भौगोलिक सीमा नहीं है | 'वायु तरंगे ' सार्वजानिक संपत्ति है और इनका प्रयोग सार्वजानिक हित के लिए होना चाहिए |

        अजय गोस्वामी बनाम भारत संघ, (ए० आइ० आर० 2007 एस० सी० 493 ) के वाद में उच्चतम न्यायालय ने यह अभिनिर्धारित किया कि अश्लील सामग्री पर पूर्ण अवरोध किशोर व्यक्तियों की निर्दिशिता की रक्षा हेतु नहीं लगाया जा सकता | किसी भी समाचार-पात्र पर समग्र रूप से विचार किया जाना चाहिए | उसे अलग रूप से नहीं देखा जा सकता | 

चल - चित्रों पर सेंसर 

        के० एन०  अब्बास बनाम भारत संघ, (AIR 1971 SC 481) के मामले में सिनेमाटोग्राफी एक्ट, 1952 की संवैधानिकता को चुनौती  दी गई  थी , जो भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अतिक्रमण है | उच्चतम न्यायालय ने सेंसर को लोकहित में संवैधानिक घोषित किया |

विज्ञापन का अधिकार 

        विज्ञापन भी विचारो की अभिव्यक्ति के साधन है किन्तु यदि वे व्यापारिक प्रवृति के हैं तो उन्हें देश के सामान्य कर- कानून से छूट नहीं मिलेगी और सरकार उन पर यथोचित कर और प्रतिबन्ध लगा सकती है | 

        हमदर्द दवाखाना बनाम भारत संघ, (AIR 1960 SC 354) के मामले में सरकार ने औषधि और जादू उपचार (आपत्तिजनक विज्ञापन ) अधिनियम पारित किया, जिसका उद्देश्य औषधियों के विज्ञापन को निषिद्ध करना था | उच्चतम न्यायालय ने इस अधिनियम की वैध घिषित करते हुए कहा की यद्यपि विज्ञापन अभिव्यक्ति का ही एक माध्यम है, फिर भी प्रत्येक विज्ञापन वाक् और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से सम्बंधित नहीं  होता है| प्रस्तुत मामले विज्ञापन विचारो के प्रसार से नहीं, बल्कि विशुद्ध रूप से व्यापर एवं वाणिज्य से सम्बंधित है | निषिद्ध औषधियों का विज्ञापन अनु० 19 ( 1) (क) के क्षेत्र  से बाहर है औए ऐसे विज्ञापनों पर प्रतिबन्ध लगाये जा सकते है |

प्रदर्शन, धरना,हड़ताल तथा बंद का आह्वान 

        कामेश्वर सिंह बनाम बिहार राज्य (AIR 1972 SC 1166) में अभिनिर्धारित किया गया कि प्रदर्शन तथा धरना दोना अभिव्यक्ति का साधन  है, परन्तु इसे हिंसात्मक नहीं होना चाहिए |

        ओ० के० घोष बनाम जोषेफ़ (AIR 1973 SC 813 ) में निधारित किया गया कि हड़ताल करने का अधिकार अनु० 19 (1) (क) के अंतर्गत मौलिक अधिकार नहीं है और जब प्रदर्शन हड़ताल का रूप ले लेता है, तब वह भी विचारो की अभिव्यक्ति का साधन नहीं होता है | 

        भारतीय क्लाम्युनिष्ट पार्टी बनाम भरत कुमार (AIR 1998 SC 184 ) के मामले में उच्चतम न्यायालय ने अभिनिर्धारित किया कि बंद करने का आह्वान अनु० (1) (a) के तहत मूल अधिकार नहीं है, बल्कि यह असवैधानिक है |

        वोटर का सूचना प्राप्त करने का अधिकार -- उच्चतम न्यायालय ने पीपुल्स यूनियन फार सिविल लिबर्टी बनाम  भारत संघ (ए० आइ० आर० 2004 एस० सी० 2112 ) में अपने पूर्व के निदेश को बहाल करते हुए चुनाव के उम्मीदवारो के लिए अपना भूतकालीन आपराधिक रिकार्ड, अपनी संपत्ति, अपने ऋण की उपस्थिति और शैक्षिक योग्यता की जानकारी निर्वाचन-पत्र  में भरना आवश्यक बना दिया | 

भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर निर्बन्धन के अधिकार 

  राज्य अनु० 19 (2) के अंतर्गत निम्न लिखित किन्ही आधारों पर इस स्वतंत्रता पर युक्तियुक्त प्रतिबन्ध लगाने के लिए कानून बना सकता है --

        1. भारत की संप्रभुता एवं अखंडता के हित में,

        2. राज्य की सुरक्षा के हित में, 

        3. विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंधों के हित में, 

        4. सार्वजानिक व्यवस्था के हित में,

        5.  शिष्टाचार या सदाचार के हित में ,

        6. न्यायालय की अवमानना के सम्बन्ध में, 

        7. मानहानि के सम्बन्ध में,

        8. किसी अपराध के उद्दीपन के सम्बन्ध में |

        कोई भी प्रतिबन्ध केबल उपर्युक्त किन्ही आधारों पर ही आरोपित किया जाना चाहिए और ऐसे आधार पर निर्बन्धन का निकट सम्बन्ध होना चाहिए और ऐसे किसी निर्बन्धन को युक्तियुक्त भी होना चाहिए | 

Source: CLA,

LLB.  3 YEAR PROGARAMME 1st SEMESTER, 2nd PAPER

CANSTITUTAION LAW- I 

DR. RAM MANOHAR LOHIA AWADH UNIVERCITY, AYODHYA 

DR, RAMLAU, AYODHYA 

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