प्राण एवं दैहिक स्वतंत्रता का अधिकार
(Right of life and Personal Liberty )
भारतीय संविधान में उपबंधित किया गया है कि किसी व्यक्ति को प्राण तथ्य दैहिक स्वतंत्रता से विधि क्वे अनुसार ही वंचित किया जा सकेगा अन्यथा नहीं | अनु० 21 इस सम्बन्ध में उल्लेख करता है कि "किसी व्यक्ति को उसके प्राण और दैहिक स्वतंत्रता से विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अनुसार ही वंचित किया जायेगा अन्यथा नहीं |"
यह अनुच्छेद प्रत्येक व्यक्ति को प्राण तथा दैहिक स्वतंत्रता का मूल अधिकार प्रदान करता है | यह अधिकार भारत के नागरिक तथा विदेशी नागरिक दोनो को प्राप्त है | अनु० 21 का उद्देश्य कार्यपालिका द्वारा दैहिक स्वतंत्रता में हस्तक्षेप को रोकना है | कार्यपालिका द्वारा इस अधिकार को विधिक प्रक्रिया द्वारा ही छीना जा सकता है |
प्राण का अधिकार --प्राण के अधिकार का अर्थ मानव की गरिमा तथा प्रतिष्ठा के अनुसार जीवन जीने का आधिकार है | इसके अंतर्गत वह सब शमिल होगा जी किसी मनुष्य के जीवन को सार्थक बनाता है |
दैहिक स्वतंत्रता -- दैहिक स्वतंत्रता विस्तृत अर्थ वाली पदावली है और इस रूप इसके अंतर्गत दैहिक स्वतंत्रता के सभी अवयस्क तत्व शामिल हैं जो व्यक्ति को पूर्ण बनाने में सहायक है | यह सिर्फ शारीरिक निर्बन्धन से मुक्ति तक ही सीमित नही है |
विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया -- विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया का अर्थ उस प्रक्रिया से है जो संसद या विधान मण्डल द्वारा बनाइ जाती है या निर्धारित की जाती है | अमेरिका के संविधान ने उपर्युक्त वाक्यांश के आधार पर सम्यक विधि प्रक्रिया वाक्यांश का प्रयोग किया गया है |
मेनका गाँधी के मामले में पहले की स्थिति
मेनका गाँधी के वाद के पूर्व अनु० 21 की व्याख्या विस्तृत नहीं थी | ए० के० गोपालन बनाम मद्रास
राज्य (AIR 1952 SC 579 ) के मामले में उच्चतम न्यायालय ने अभिनिर्धारित किया था कि यद्यपि स्वतंत्रता एक व्यापक अर्थ वाला शब्द है, किन्तु अनु० 21 में इसके क्षेत्र को दैहिक विशेषण लगाकर सीमित कर दिया है और इस अर्थ में दैहिक स्वतंत्रतता मात्र से ही है | अर्थात बिना विधि के अधिकार के किसी व्यक्ति को कारावास के निरुद्ध करने आदि की स्वतंत्रता है | यह परिभाषा डायसी द्वारा प्रतिपादित परिभाषा के आधार पर है डायसी के अनुसार - दैहिक स्वतंत्रता का अर्थ सभी व्यक्तियों को बिना विधिक औचित्य के दण्ड, गिरफ़्तारी या अन्य शारीरिक अवरोधों के विरुद्ध स्वतंत्रता है | अनु० 21 और अनु0 19 स्वतंत्रता के दो विभिन्न पहलुओ से सम्बंधित है | इसी वाद में उच्चतम न्यायालय ने विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया शब्दावली में नैसर्गिक न्याय को शामिल करने से इन्कार कर दिया गया और कहा कि विधि शब्द का अर्थ राज्य द्वारा बनाई गई विधि है |
मेनका गाँधी के बाद की स्थिति
मेनका गाँधी बनाम भारत संघ (AIR 1978 SC 579 ) के मामले में उच्चतम नय्यालय ने अनु० 21 को एक नया आयाम दिया | न्यायालय ने अबिनिर्धरित किया कि प्राण का अधिकार केवल बहुतिक अस्तित्व तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें मानव गरिमा को बनाये रखते हुए जीने का अधिकार है | 'दैहिक स्वतंत्रता ' शब्दावली अत्यंत व्यापक अर्थ वाली पदावली है और इसके अंतर्गत ऐसे बहुत से अधिकार शामिल है जिनसे व्यक्तिगत स्वतंत्रता का गाठन होता है | साथ ही उच्चतम न्यायालय ने पहली द्वारा, अभिनिर्धारित किया कि " प्रक्रिया का अर्थ कोई प्रक्रिया नहीं है , बल्कि ऐसी प्रक्रिया है जो उचित, न्यायपूर्ण और युक्तियुक्त हो |" अनु० 21 में प्रयुक्त विधि शब्द से तात्पर्य विधायिका द्वारा पारित विधि से नहीं वरन ऐसी विधि से है जो कि नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों पर आधारित हो | न्यायमूर्ति भगवती ने उल्लखित किया है कि यह आवश्यक नहीं कि किसी अधिकार का उल्लेख किसिस अनुच्छेद में किया जाय तभी वह मूल अधिकार की श्रेणी में आयेगा | यदि कोई अधिकार किसी मूल अधिकार के प्रयोग के लिए आवश्यक है तो वह भी मूल अधिकार होगा भले ही उसका उल्लेख संविधान में न किया गया हो | इसप्रकार मेनका गाँधी बनाम ए० के० गोपालन के निर्णय को पूर्णतः खारिजकर उच्चतम न्यायालय ने अनु० 21 को नया आयाम प्रदान किया |
प्राण एवं दैहिक स्वतंत्रता के मूल अधिकार के तहत प्राप्त अधिकार
वर्तमान अनु० 21 में उच्चतम न्यायालय के द्वारा दिए गए विभिन्न निर्णयों के अनुसार व्यक्ति को प्रमुखतः निम्न लिखित अधिकार प्राप्त है --
1. जीवकोपार्जन का अधिकार -- विलगा टेलिस बनाम बाम्बे म्युनिसिपल कारपोरेशन (AIR 1986 SC 180) के वाद में निर्धारित किया गया कि जीवकोपार्जन का अधिकार प्राण के अधिकार के अंतर्गत है | क्योंकि कोई व्यक्ति जीवित रहने का साधन के बिना अर्थात जीवकोपार्जन के साधन के बिना जीवित नहीं रह सकता है |
2. मरने का धिकार - श्रीमती ज्ञान कौर बनाम पंजाब राज्य [(1996) 1 SCC 649 ] के वाद में निर्धारित किया गया कि ' मरने का अधिकार ' प्राण के अधिकार में शामिल नहीं है, जबकि मरने का अधिकार 'जीने के अधिकार ' के विरुद्ध है |
3. चिकित्सा का अधिकार -- परमानन्द कटाराबनाम भारत संघ [(1989) 4 SCC 649 ] के मामले में निर्धारित किया गया कि " राज्य की अनु० 21 के अधीन यह बाध्यता है कि प्रत्येक व्यक्ति के जीवन की रक्षा करे चाहे वह दोषी हो या न हो, प्रत्येक रोगी को तुरंत चिकित्सा सहायता मिलनी चहिये |"
पश्चिम बंगाल खेत मजदूर समिति बनाम वेस्ट बंगाल [(1996) 4 SCC 37] के धारा वाद में निर्धारित किया गया कि "सरकारी अस्पतालों द्वारा जरूरतमंद व्यक्तियों को समय पर चिकित्सा सहायता प्रदान कैने में विफलता अनु० 21 द्वारा प्रदत्त प्राण के अधिकार का उल्लंघन है |
4. जेल में बंदी माँ के साथ रहने वाले बच्चे का संरक्षण --आर डी उपाध्याय बनाम आंध्र प्रदेश राज्य (AIR 2006 SC 1946 ) के मामले में उच्चतम न्यायालय ने यह निर्देश दिया कि जेल में पैदा हुए बच्चो को जेल में जन्म का प्रमाण पात्र नहीं दिया जायेगा और 6 वर्ष से अधिक आयु के बच्चो को माँ के साथ नहीं रखा जायेगा |
5. शिक्षा पाने का अधिकार -- उच्चतम न्यायालय ने उन्नीकृष्णन बनाम आन्ध्र प्रदेश, [(1993) 4 SCC 645] के वाद में निर्धारित किया कि जीवन के अधिकार में शिक्षा का अधिकार भी शामिल है अतः अनु० 21 इसे मूलाधिकार की मान्यता देता है |
उन्नी कृष्णन में दिए गए निर्णय के परिणाम स्वरुप वर्तमान में 86वे संविधान (संशोधन ) अधिनियम, 2001 द्वारा नया अनु० 21-A जोड़कर शिक्षा के अधिकार द्वारा 6 से 14 वर्ष तक के बालको को शिक्षा का मूल अधिकार प्रदान किया गया है |
6. एकान्तता का अधिकार -- राजगोपाल बनाम तमिलनाडु राज्य [(1994) 4 SCC 632 ] के अवद में कहाः गया कि एकान्तता का अधिकार संविधान के अनु० 21 के अंतर्गत एक मूल अधिकार है | कोई भी व्यक्ति किसी व्यक्ति के निजी जीवन में हस्तक्षेप नही कर सकता है |
रचाला एम० भुवनेश्वरी बनाम नाग्फंदर रचाला, (AIR 2008 आंध्रप्रदेश 98 ) के वाद में आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय ने यह अवधारित किया है कि पति द्वारा विवाह- विच्छेद की याचिका में अपने मामले में प्रमाणित करने में न्यायालय में पत्नी द्वारा अपने मित्र या माता-पिता से की गई बातचीत के सम्बन्ध में फोन टेप करने वाले डिस्क को प्रस्तुत करना अनु० 21 के अंतर्गत एकान्तता के अधिकार का उल्लंघन है |
मिस्टर एक्स फार सिविल बनाम हास्पिटल जेड (AIR 1999 SC 495) के मामले में निर्धारित किया गया है, कि अनु० 21 के तहत प्राप्त एकान्तता का अधिकार आत्यंतिक नहीं है | उस पर अपराध रोकने, अवयस्कता, स्वास्थ्य तथा नैतिकता के आधार पर निर्बन्धन लगाये जा सकते है |
पीपुल्स यूनियन फार सिविल लिबर्टीज बनाम भारत संघ (AIR 1997 SCC 598) के वाद में निर्धारित किया गया कि 'टेलीफोन टेपिंग ' अनु० 21 के तहत प्राप्त एकान्तता के अधिकार पर गंभीर आक्रमण है | इसे सिर्फ लोकहित में किया जा सकता है |
7. लोकस्वास्थ्य एवं पर्यावरण का अधिकार --लोक स्वास्थ्य एवं पर्यावरण का अधिकार को अनु० 21 के अंतर्गत मूल अधिकार मानते हुए एवं भूरेलाल समिति की रिपोर्ट को लागू करते हुए उच्चतम न्यायालय ने निर्देश जारी किये कि 2 अक्टूबर 1998 से देश की राजधानी दिल्ली में ऐसे सभी व्यापारिक वाहन ट्रक,बस,तकषी एवं ऑटो रिक्शा इत्यादी से प्रतिबंधित कर दिया है | [एम० सी० मेहता बनाम यूनियन आफ इण्डिया, (1998 ) 6 SCC 63 ]
इन री ध्वनि प्रदुषण (AIR 2005 SC 3036 ) के मामले में उच्चतम न्यायालय ने यह निर्धारित किया कि प्रत्येक व्यक्ति को ध्वनी प्रदुषण रहित वातावरण में जीवन जीने का अधिकार है | अनु० 19 (1) (a) अंतर्गत उपबंधित वय्क्य और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार आत्यंतिक नहीं है | कोई व्यक्ति ध्वनि प्रसारको द्वारा अपनी आवाज सुनने के लिए दूसरो को बाध्य नहीं कर सकता |
बच्चा पैदा करने या न करने का अधिकार-- सिचिता श्रीवास्तव बनाम चंडीगढ़ प्रसाशन, (AIR 2010 SC 235 ) के मामले में यह निर्धारित किया कि एक महिला को बच्चा पैदा करने या न करने या मैथुन में भाग लेने न लेने या गर्भ निरोधक का तरीका अपनाने का धिकार विकल्प का अधिकार अनु० 21 में प्रदत्त व्यक्ति उसस्वाधीनता के अधिकार में सम्मिलित है | चंडीगढ़ में एक नारिकेतन किक एक मंदबुद्धि महिला बलात्कार के फलस्वरूप गर्भवती हो गई थी | प्रसाशन ने उच्च न्यायालय में आवेदन देकर उसके गर्भपात की अनुमति मांगी, क्योंकि वह अनाथ थी और उसके भावी बच्चे के द्वेख्भाल के लिए कोई संरक्षक नहीं था | महिला ने गर्भपात की सहमति नहीं दिया | कतिपय प्राइवेट व्यक्तियों ने इस निर्णय के विरुद्ध उच्चतम न्यायालय में अपील फ़ाइल की | उच्चतम न्यायलय ने यह निर्णय दिया कि मंद्बुधि महिला को बच्चा पैदा करने का अधिकार है और उच्चतम न्यायालय के विनिश्चय को अभिखंडित कर दिया | न्यायालय ने कहा कि मेडिकल तेर्मिनेंसी अधिनियम में मंद्बुधि महिला और मानसिक बीमार महिला में अंतर किया गया है | मानसिक बीमार महिला के लिए सरक्षक की सहमति आवश्यक है मंदबुद्धि स्वयं सहमति देने के लिए सक्षम है |
9. शीघ्र परिक्षण का अधिकार-- हुसैन आरा खातून बनमा बिहार राज्य (AIR SC 1963 ) के वाद में निर्धरित किया कि ' शीघ्र परिक्षण ' तथा निशुल्क विधिक सहायता अनु० 21 द्वारा प्रदत्त दैहिक स्वतंत्रता के मूल अधिकार का आवश्यक तत्व है |
मोजेज विल्सन बनाम कस्तूरबा, (AIR 2008 SC 379 ) के वद में उच्चतम न्यायालय ने 'शीघ्र परिक्षण ' न प्रदान किये जाने पर चिंता व्यक्त की और इस मामले में अधिकारीयों से जरुरी कदम उठाने का निर्देश दिया |
10. अवैध गिरफ़्तारी तथा पुलिस अभिरक्षा में अमानवीय व्यव्हार के विरुद्ध संरक्षण --निल्बती बेहरा बनाम उड़ीसा राज्य, [(1993) 2 SCC 746 ] के वाद में निर्धारित किया गया कि पुलिस अभिरक्षा में गिरफ्तार किया गया व्यक्ति तथा जेल में कैदियों को की रक्षा करना राज्य का कर्तव्य है और यदि राज्य ऐसा करने में असमर्थ होता है, तो पीड़ित व्यक्ति या उसके परिवार को प्रतिकार देना होगा |
दी० के ० बासू बनाम पश्चिम बंगाल राज्य, (AIR 1997 SC 610 ) के वाद में गिरग्तरी के सम्बन्ध में महत्त्वपूर्ण मार्गदर्शक सिद्धांत प्रतिपादित किये ताकि अवैध गिरफ़्तारी से व्यक्तियों की सुरक्षा की जा सके |
एक अन्य महत्त्वपूर्ण वाद - पीपुल्स यूनियन फार सिविल लिबर्टीज बनाम भारत संघ, (AIR 1997 SC 1203 ) में 'झूठी या नकली मुठभेड़ ' में व्यक्ति के मृत्यु को अनु० 21 के तहत प्राप्त मूल अधिकार का उल्लंघन माना तथा उसके लिए प्रतिकार प्रदान करने का आदेश उच्चतम न्यायालय ने प्रदान किया |
स्टेट आफ ए० पी० बनाम सी० आर० रेड्डी, [(2000) 5 SCC 712 ] के मामले में उच्चतम न्यायालय यह निर्धारित किया कि अनु० 21 के अंतर्गत प्राण का अधिकार जेल में रह रहे व्यक्ति को भी प्राप्त है |
11. यौन उत्पीणन से संरक्षण -- दिनेश बनाम राजस्थान राज्य, [(2006) 3 SCC 771] के वाद में बलात्कार अनु० 21 एवं मानवाधिकार का उल्लंघन है | विशाखा बनाम राजस्थान राज्य (AIR 1997 SC 3011 ) में उच्चतन्यायालय ने कार्यस्थलों पर महिलाओ के यौन उत्पीणन को रोकने के लिए मार्गदर्शक सिद्धांत प्रतिपादित किया है | एपारल एक्सपोर्ट प्रोमोशन बनाम ए० के० चोपड़ा, (AIR 1999 SC 625 ) के मामले में उच्चतम न्यायालय ने यह अभिनिर्धारित किया कि कार्य के स्थान पर यौन शोषण की प्रत्येक घटना से महिला कर्मचारी को अनु० 21 के तहत प्राप्त अधिकार उल्लंघन होता है | उसे रोकने का पूरा प्रयास किया जाना चाहिए |
मीनगामा बनाम चिकाइमा (AIR 2000 Kar. 50 ) के मामले में न्यायालय ने अभिनिर्धारित किया कि किसी व्यक्ति को बिना कानूनी प्राधिकार के उसके पितृत्व निर्धारण के लिए रक्त परिक्षण के लिए विवश करना अनु० 21 का उल्लंघन है |
12. पेंशन का अधिकार -- एस० के० मस्ताना बी० बनाम जेनरल मैनेजर साउथ रेलवे [(2003) 1 SCC 184 ] के मामले में उच्चतम न्यायलय ने निर्धारित किया कि पारिवारिक पेंशन का अधिकार अनु० 21 के अंतर्गत मूलाधिकार है | तथा नियोजक यह कर्तव्य है, कि वह बिना मांगे भी पारिवारिक पेंशन प्रदान करे | यदि एसी पेंशन का क्लेम काफी एरी से प्रस्तुत किया है, तो भी वह पोशानीय है |
13. अंतर्जातीय विवाह का अधिकार-- लता सिंह बनाम उत्तेर प्रदेश राज्य, (AIR 2006 SC 2522 ) में उच्चतम न्यायालय ने यह अभिनिर्धारित किया कि व्यस्क व्यक्ति को जो कि निर्धारित आयु प्राप्त कर चुके है स्वेच्छा से से किसी व्यक्ति से विवाह करने का अधिकार है |
मिल्क प्रोदूसर्स एसोशियेशन बनाम उड़ीसा राज्य [(2006) 3 SCC 229 ] के वाद एम् उच्चतम न्यायालय ने यह अवधारित किया कि सरकारी भूमि पर अतिक्रमण करने वाले व्यक्ति को राज्य सरकार की निति - निर्णय के आभाव में आऊ० 21 के अंतर्गत पुनर्वास का अधिकार नहीं है |
14. बिजली पाने का अधिकार -बिजली पाने का अधिकार अनुओ 21 के अंतर्गत दैहिक स्वतंत्रता के अधिकार के अंतर्गत आता है, क्योंकि वर्तमान समय में बिना बिजली के जीवित रहना असंभव नहीं है | [एम० के ० आचार्य बनाम सी० एम० डी ० वेस्ट बंगाल स्टेट डिस्ट्रीब्यूशन कं ० लि०, AIR 2008 कोलकाता 47]
15. स्कूल बसों में सुरक्षित यात्रा करने का स्कूली बच्चो का अधिकार -- स्कूल बसों में स्कूली बच्चो को सुरक्षित यात्रा करने का व्यक्तिगत मूलाधिकार है और उसमे क्षमता से अधिक यात्री लड़ना अनु० 21 का उल्लंघन है | [स्वपन कुमार साहा बनाम सुओथ पॉइंट मांटेसरी स्कूल, AIR 2008 (एन० ओ० सी० ) 236 ]
परन्तु यदि किसी उग्रवादी की मृत्यु सेना अभिरक्षा में शस्त्र और गोला बारूद के छुपे भंडार को ढक्कन उतरने के समय विस्फोट हो जाती है तो उसके सम्बन्धियों को प्रतिकार प्राप्त करने का अधिकार नहीं है | [मसूदा प्रवीण बनाम भारत संघ, AIR 2007 SC 180 ]
Source: CLA,
LLB. 3 YEAR PROGRAMME 1st SEMESTER 2nd PAPER
CONSTITUTIONAL LAW - I
DR.RAM MANOHAR LOHIA AWADH UNIVERSITY, AYODHYA
DR. RMALU, AYODHYA
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